भारतीय रेलवे अपने परिसर में पाए जाने वाले और तत्काल देखभाल और संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत कर रहा है. इसके तहत वह कुछ स्टेशनों पर शेल्टर होम बनाएगा, जहां इन बच्चों के कुछ समय तक ठहरने की व्यवस्था होगी. रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक प्रायोगिक परियोजना के तौर पर ऐसे शेल्टर होम और हेल्प डेस्क दिल्ली, गुवाहाटी, दानापुर, समस्तीपुर और अहमदाबाद रेलवे स्टेशनों पर या उनसे सटे स्थानों पर स्थापित किए जाएंगे.
बोर्ड ने बताया कि 2,000 वर्ग फुट में बने इन शेल्टर होम्स में करीब 25 बच्चे रह सकेंगे. बोर्ड के मुताबिक इन शेल्टर होम्स में पोषण, मनो-सामाजिक और चिकित्सा संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इनका इस्तेमाल किशोर न्याय अधिनियम और पॉक्सो अधिनियम के मुताबिक बच्चों को उनके परिवार से मिलाने के तरीके के तौर पर किया जाएगा.
महिला कल्याण संगठन एनजीओ के साथ मिलकर करेगा काम
बोर्ड ने बताया कि रेलवे महिला कल्याण संगठन इस परियोजना का प्रभारी होगा और वह बच्चों पर केंद्रित गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करेगा. इन केंद्रों का नाम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सुझाएगा.
बोर्ड के मुताबिक संबंधित रेलवे मंडलों को इन पांच रेलवे स्टेशनों पर जरूरी जगह आवंटित करने को कहा गया है. इन शेल्टर होम्स में 1,000 वर्ग फुट का एक शयनकक्ष, 75 वर्ग फुट का एक मरीज कक्ष, 125 वर्ग फुट का स्टोर रूम, दो शौचालय और दो बाथरूम होंगे. शेल्टर होम के प्रभारी को 500 वर्ग फुट का कार्यालय दिया जाएगा.
चार साल में 35,000 बच्चे छुड़ाए गए
रेलवे ने कुछ दिन पहले बाल संरक्षण पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से अपने कर्मचारियों के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया जारी की थी. जिसके बाद उसका यह फैसला आया है. आंकड़ों के मुताबिक अपना घर छोड़ने वाले या मानव तस्करी के शिकार करीब 35,000 बच्चों को पिछले चार साल में रेलवे स्टेशनों से मुक्त कराया गया.