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भारत सरकार जल्द ही करेगी बाल विवाह कानून में संशोधन

इसके तहत किसी भी तरह के बाल विवाह को अमान्य और गैरकानूनी माना जाएगा

FP Staff

भारत सरकार जल्द ही ऐसा कानून बनाने जा रही है जिसके तहत किसी भी तरह के बाल विवाह को अमान्य और गैरकानूनी माना जाएगा. हालांकि देश में बाल विवाह के खिलाफ कानून साल 1929 में ही बन गया था. इस कानून के अनुसार लड़कियों की शादी की उम्र 14 और लड़कों की 18 तय की गई थी. बाद में इस कानून में बदलाव किए गएं.

साल 2006 में लड़कियों के लिए शादी की उम्र 14 से बढ़ाकर 18 और लड़कों का 18 से 21 कर दिया गया. कानून में हुए इस बदलाव के बावजूद इतने सालों में इसका सही क्रियान्वन नहीं हो सका है. वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो 2014 में 280 और 2016 में 320 शिकायतें बाल विवाह के खिलाफ दर्ज की गई थीं. इनमें ज्यादातर तो सामने भी नहीं आ पातीं.


विश्वभर में होने वाले बाल विवाह का 33% केवल भारत में ही 

सालों पहले बने इस कानून की एक और कमजोरी है कि इसे लागू करना  काफी मुश्किल होता है. इसके अनुसार अगर किसी जोड़े का बाल विवाह होता है तो व्यस्क होने पर वह चाहें तो अपनी शादी मान्य करा सकते हैं.

एनडीटीवी के खबर अनुसार अधिकारियों का कहना है कि बहुत कम लड़कियां या महिलाएं ही ऐसी हैं, जिन्होंने वास्तव में कानून का इस्तेमाल अपने बच्चे के विवाह को रद्द करने के लिए किया है. राजस्थान से 18 वर्षीय पिंटुदेवी जैसे लोगों को ढूंढना असामान्य है, जिन्होंने हाल ही में अपने ससुराल वालों के खतरों के बावजूद विवाह को भंग कर दिया. ज्यादातर लोग समाजिक या पारिवारीक दबाव के कारण ऐसी शादी में बंधे रहते हैं.

नाबालिग पत्नी के साथ सेक्स करना गैर-कानूनी

एक्शन एड नामक संस्थान के अनुसार विश्वभर में होने वाले बाल विवाह का 33% केवल भारत में ही होता है. करीबन 103 मिलियन भारतीयों की शादी 18 साल की उम्र के पहले ही हुई है.

पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में एक अच्छा फैसला सुनाया था. देश में 23 मिलियन बाल जोड़ों के आंकड़े से स्तब्ध कोर्ट ने नाबालिग पत्नी के साथ सेक्स को गैर-कानूनी ठहराया था.

इसके बाद अब केंद्र सरकार भी इस कानून से जुड़े बदलाव करने जा रही है. इसका प्रस्ताव जल्द ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को मंजूरी के लिए पेश की जाएगी.