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चीन की सेना में उतना दम नहीं जितना वो बताता है!

भारत से लगी सरहद पर चीन अपनी सेना का छोटा सा हिस्सा ही लगा पाएगा

FP Staff

चीन और भारत के बीच आरोप-प्रत्यारोप और बयानों का सिलसिला कम नहीं हो रहा है. सोमवार को चीन के रक्षा मंत्रालय ने भारत को एक बार फिर चेतावनी दी. चीन की ओर से कहा गया कि अपनी सीमाओं की रक्षा के मामले में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की योग्यता पर भारत को किसी कन्फ्यूजन नहीं रहना चाहिए. उसने भारत को डोकलाम से सेना वापस बुलाने को कहा है. इसके साथ ये भी कहा है कि पहाड़ को हिला सकते हैं. चीन की सेना को नहीं.

चीन के रक्षा प्रवक्ता के बयान से जाहिर होता है कि उसे अपनी सैन्य क्षमता पर पूरा भरोसा है. लेकिन क्या वाकई मौजूदा वक्त चीनी सेना भारतीय सेना पर भारी पड़ेगी.


आइए एक नजर डालते हैं इन जंग की स्थिती होने पर दोनों देश के मौजूदा सैन्य समीकरणों पर..

अगर सिर्फ सैनिकों की बात करें तो चीन के पास ज्यादा सैनिक हैं. उसका रक्षा बजट भी ज्यादा है. एक तरफ भारत हर साल रक्षा तैयारी पर करीब 3300 अरब रुपये खर्च करता है. चीन 9800 अरब रुपए खर्च करता है. इसलिए उसके पास सैनिक, साजोसामान सबकुछ हमसे ज्यादा हैं.

भारत की थलसेना में 13 लाख 25 हजार सैनिक हैं जबकि चीन के पास 23 लाख 35 हजार सैनिक हैं. यानी हमसे करीब दोगुने सैनिक.

फौजी साजो सामान का हिसाब लगाएं तो इस मामले में भी चीन हमसे बीस है. उसके पास 2800 टैंक है और 6500 तोप हैं. भारत की थलसेना के पास 570 टैंक हैं, और तोपों भी कुछ कम हैं. सिर्फ 4,500 तोप.

संख्या के हिसाब से हवाई ताकत में भी चीन आगे है. उसके पास करीब 1400 लड़ाकू विमान हैं. हमारे पास करीब 800 लड़ाकू विमान ही हैं. लेकिन क्या चीन के विमान बड़ा हमला कर सकते हैं? उन्हें तिब्बत की ऊंची पहाड़ियों को पार करना पड़ेगा. तो उनमें न ज्यादा हथियार लादे जा सकेंगे न ज्यादा ईंधन भरे जा सकेंगे. वहीं हमारी वायुसेना इस इलाके में आसानी से बड़े हमले कर सकती है.

चीन मिसाइलें खतरनाक साबित हो सकती हैं. चीन के पास 16 हजार मिसाइलें हैं. भारत के पास करीब साढ़े 5 हजार मिसाइले हैं. जाहिर है चीन हर मामले में हमसे आगे है. लेकिन यहां पर एक पेच भी है.जंग में इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास सैनिक कितने हैं. फर्क इससे पड़ता है कि आप कितनी सेना मोर्चे पर लगा पाएंगे.

समझने वाली बात ये है कि बड़ी फौज के बाद भी चीन मोर्चे पर ज्यादा सैनिक नहीं लगा सकता. इसकी वजह है चीन का झगड़ालू रवैया. कुल 14 मुल्कों के साथ चीन का झगड़ा है, सीमा विवाद है. यानी उसे 14 सरहदों पर सेना को बांटना पड़ता है.

यानी भारत के पास चाहे 13 लाख 25 हजार की फौज ही हो और चीन के पास करीब 23 लाख 35 हजार सैनिक हों तो भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला.

सच तो ये है कि भारत से लगी सरहद पर चीन अपनी सेना का छोटा सा हिस्सा ही लगा पाएगा. पिछले साल साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में अंदाजा लगाया गया था जरूरत पड़ने पर चीन, भारत के मोर्चे पर करीब 80 हजार सैनिक ही लगा पाएगा.

इसके अलावा तेजी से हमला करने के लिए उसके पास एक खास 15वीं एयरबोर्न रेजिमेंट भी है. इस रेजीमेंट के सैनिक 10 घंटे में कहीं भी पहुंच सकते हैं लेकिन अंदाजा है कि भारत की तरफ एक बार में 35,000 सैनिक से ज्यादा नहीं पहुंच पाएंगे. यानी सभी को मिला लें तो ज्यादा से ज्यादा सवा लाख सैनिक. इनके जवाब में भारत भी मोर्चे पर लगभग इतने ही सैनिक फौरन भेजने की ताकत रखता है क्योंकि हमारी सेना के ठिकाने सरहद से ज्यादा दूर नहीं है.

यानी चीन ज्यादा अकड़ नहीं दिखा सकता है. ये उसे भी पता है कि जंग हुई तो चाहे जितनी तेजी से सैनिकों की तैनाती की जाए. दो चार हफ्ते में दोनों तरफ से ज्यादा से ज्यादा सवा से डेढ़ लाख सैनिक ही मोर्चे पर पहुंच पाएंगे. यानी टक्कर बराबर की होगी. बराबर की टक्कर होगी तो जीत उसकी होगी जो ज्यादा बहादुरी से लड़ेगा.

भारत हालात समझता है, इसलिए शांत बना हुआ है. हमारी सेना मजबूती के साथ डोकलाम के मोर्चे पर डटी हुई है. मीडिया में आई खबरों की मानें तो यहां भी फिलहाल दोनों तरफ के तीन, तीन हजार सैनिक ही तैनात हैं. और भारत के रुख से साफ है कि वो हटने वाला नहीं है.

(साभार न्यूज़ 18)