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एस-400 डील: अमेरिका के लिए डिप्लोमैटिक कैंपेन शुरू करेगा भारत, हो रही है ऐसी प्लानिंग

लंबे समय के इंतजार के बाद भारत और रूस की द्विपक्षीय बातचीत में एस-400 डील पर मुहर लगी है

FP Staff

रूस के साथ एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की डील पर भारत की मुहर लगने के बाद अब भारत की तैयारी अमेरिका को साधने की है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक भारत अब महत्वपूर्ण डिप्लोमैटिक-मिलिटरी कैंपेन कर अमेरिका से $5.43 अरब अधिग्रहण के इस डील में छूट दिए जाने की मांग करने की सोच रहा है. आपको बता दें कि लंबे समय के इंतजार के बाद भारत और रूस की द्विपक्षीय बातचीत में इस डील पर मुहर लगी है. भारत ने रूस के साथ एस-400 के अलावा 7 समझौते और किए हैं.

भारत ने अमेरिका से कहा कि वह तकनीकी तौर पर मजबूती बनाए रखेगा


भारत के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि भारत ने ट्रंप प्रशासन को इस बात के लिए आश्वस्त किया है कि वह हथियार के सिस्टम की ऑपरेशनल गोपनीयता से कभी समझौता नहीं करेगा. सूत्रों के मुताबकि भारत ने अमेरिका से यह भी कहा है कि वह तकनीकी तौर पर मजबूती बनाए रखेगा और किसी भी देश की गोपनीय जानकारी किसी तीसरे देश को नहीं देगा. भारत की ओ से कहा गया है कि वह दो देशों के बीच हुए समझौतों के साथ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट का सम्मान करते हैं.

भारत के टॉप अधिकारियों ने अमेरिका का किया था दौरा

सिक्योरिटी पर बनी कैबिनेट कमिटी द्वारा 26 सितंबर 2018 को एस-400 डील को लेकर सहमति मिलने के बाद भारत के अधिकारियों द्वारा कई बार अमेरिका का दौरा किया गया और उसे इस डील के लिए राजी करने का प्रयास भी किया गया था. 22-23 अगस्त को एक उच्च स्तरीय टेक्निकल टीम के टॉप अधिकारियों ने भारतीय वायु सेना के डिप्टी चीफ एयर मार्शल आर नांबियार (अब ईस्टर्न एयर कमांड चीफ) के नेतृत्व में अमेरिका का दौरा किया था. इसके बाद सितंबर के मध्य में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिका का दौरा किया था.

एस-400 डील भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी

सूत्रों की मानें तो भारत मजबूती से अमेरिका तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब रहा है. इसके साथ ही भारत ने अमेरिका को यह भी बताया कि एस-400 डील भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए कितना जरूरी है लेकिन उन्होंने यह बात भी स्वीकार की है कि इस डील में भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलेगी या नहीं इस पर अंतिम फैसला राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ही लेंगे. ट्रंप के निर्देश पर रूसी हथियार या ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है. बताया जा रहा है कि एस-400 सिस्टम एयरक्राफ्ट और रेडार जैसे प्लैटफॉर्म के डेटा रिकॉर्ड करने में सक्षम है.

भारत को अमेरिका के एफ-35 को खरीदने में भी रूचि

बता दें कि भारत अमेरिका के एफ-35 को खरीदने में भी रूचि दिखा चुका है, लेकिन भारत अमेरिका के साथ पहले कई तरह के महत्वपूर्ण हथियार खरीदने की डील कर चुका है. इनमें से कुछ पर भारत और अमेरिका के 2+2 डायलॉग के दौरान मुहर लगी थी. अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस और माइक पॉम्पियो जो 2+2 डायलॉग के दौरान भारत में थे, ने भी इस प्रतिबंध से भारत को छूट दिए जाने की वकालत की थी. पिछले महीने ही अमेरिका ने चीन पर रूस से एस-400 और सुखोई-35 खरीदने पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे.