कुछ दिनों पहले ही नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को मुकाबले के लिए ललकारा था. यह मुकाबला सीमा पर नहीं बल्कि गरीबी और अशिक्षा के फ्रंट पर होना था.
इस बीच ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस इंडेक्स यानी जीसीआई ने भारत को टक्कर का एक मौका जरूर दे दिया है.
वैसे ये अलग बात है कि ये वो पैमाने नहीं हैं जिन पर प्रधानमंत्री मुकाबला करना चाहते थे.
GCI इन मोर्चों पर चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की तुलना की है-
- संस्थान
- इंफ्रास्ट्रक्चर
- मैक्रो इकनॉमिक एनवॉयरमेंट
- स्वास्थ्य एवं प्राथमिक शिक्षा
- उच्च शिक्षा एंव प्रशिक्षण
- बेहतर गुड्स मार्केट
- बेहतर लेबर मार्केट
- फाइनेंशियल मार्केट डिवेलपमेंट
- टेक्नोलॉजी के लिए रेडी
- मार्केट साइज
- बिजनेस करने की सहूलियतें एवं इनोवेशन
जीसीआई ने इन पैमानों पर दुनिया भर के 138 देशों की लिस्टिंग तैयार की है. इसमें इंडिया 16 पायदान उछलकर 39वें नंबर पर पहुंच गया है.
पाकिस्तान 122वें और चीन 28वें नंबर पर है.
इंडेक्स ने बिजनेस करने में आने वाली 16 समस्याओं की लिस्ट तैयार की है. इसी के आधार पर सभी देशों की रैंकिंग की है. जीसीआई के ये 16 पैमाने हैं-
इंडिया में कारोबार करने की तीन सबसे बड़ी समस्याओं में टैक्स रेगुलेशंस, करप्शन और टैक्स रेट्स हैं.
चीन में कारोबार करने की तीन समस्याओं में लोन मिलने में मुश्किल, पॉलिसी में अस्थिरता और कमजोर सरकारी ब्यूरोक्रेसी है.
पाकिस्तान में तीन सबसे बड़ी समस्याएं भ्रष्टाचार, क्राइम व चोरी और टैक्स
रेट्स हैं.
इंडिया में चीन के मुकाबले सरकारी ब्यूरोक्रेसी और फाइनेंसिंग चीन से बेहतर है.
पाकिस्तान की बात करें तो वह लेबर रेगुलेशंस, इनोवेशन की क्षमता और पब्लिक हेल्थ के मामले में बेहतर है.
इस इंडेक्स में इंडिया ने जिस तरह छलांग लगाई है वह बेहतरीन है.