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फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं जेटली

वॉशिंगटन में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और वल्र्ड बैंक की सालाना बैठक में जेटली ने पावरफुल इंडियन डेलिगेशन की अगुवाई की.

FP Staff

फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली विदेश दौरे पर इंडियन इकनॉमी के परफॉर्मेंस पर बात करते हुए पहले से ज्यादा सजग हैं.

'हम सबसे अच्छे हैं और सब ठीक है' वाला टोन अब बदल रहा है. अब उनका लहजा हकीकत को समझ रहा हैं. अब वो कह रहे हैं 'हम दूसरों से बेहतर हैं लेकिन कुछ मसलों को हल करना जरूरी है.'


वॉशिंगटन में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और वल्र्ड बैंक की सालाना बैठक में जेटली ने पावरफुल इंडियन डेलिगेशन की अगुवाई की.

बैठक में जेटली ने कहा, 'अब हम सेंटर स्टेज पर हैं. पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. यह आपको मानना होगा. लेकिन मैं इसमें सजग भी करूंगा.’

‘भारत पहले के मुकाबले ज्यादा महत्वाकांक्षी है. तो पूरी दुनिया के मुकाबले हम बेहतर कर रहे हैं. लेकिन खुद से मुकाबला करें तो यह कम लग रहा है.'

जेटली ने कहा, 'हम अभी बेहतर कर सकते हैं. कुछ बेहतर करने की बेचैनी, कुछ अच्छा चाहना बुरी बात नहीं है.' यहां तक कि दुनिया भर में इंडिया को लेकर एक गूंज है.

अगले दो साल में देश की एनुअल जीडीपी ग्रोथ 7.6 पर्सेंट रहने का अनुमान है. इंडिया दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकनॉमी है.

कच्चा तेल सस्ता होने और अंदरूनी सुधार से सरकार की वित्तीय हालत बेहतर है. कंज्यूमर इनफ्लेशन तीन साल पहले से काफी कम है.

रिफॉर्म्स के मामले में काफी समय बाद तेजी आई है.

2014 में भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद इकनॉमी में जोश भरा है. इनडायरेक्ट टैक्स और फाइनेंशियल सेक्टर में कई बदलाव किए गए हैं.

सब्सिडी सहित तमाम कोशिशों से इंडस्ट्रीज को रिवाइव किया गया. इससे बदलाव की उम्मीद बढ़ी है. लेकिन बेरोजगारी से माहौल खराब हो रहा है.

यह एक ऐसा मसला है जिस पर मोदी सरकार बहुत कम बात करती है. अलग अलग अनुमानों के मुताबिक, हर महीने करीब 10 लाख युवा जॉब मार्केट से जुड़ते हैं.

इस हिसाब से हर साल करीब 1.2 करोड़ हुए. यह आंकड़ा काफी बड़ा है. ऐसा लगता है कि सरकार के पास इनको जॉब देने का कोई प्लान नहीं है.