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देश में हर आठ में एक मौत वायु प्रदूषण से, तंबाकू जितना खतरनाक है दुष्प्रभाव

ICMR, PHFI, IHMI और हेल्थ मिनिस्ट्री की ज्वाइंट स्टडी के मुताबिक, इंडोर और आउटडोर एयर पॉल्यूशन से 10 लाख से ज्यादा लोगों की हुई मौत

Pankaj Kumar

भारत में पिछले साल यानी 2017 में आठ में से एक इंसान की मौत वायु प्रदूषण से हुई है. 6.7 लाख लोग आउटडोर वायु प्रदूषण के शिकार हुए हैं वहीं 4.8 लाख लोगों को इंडोर एयर पॉल्यूशन की वजह से जान से हाथ धोना पड़ा है .

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ( ICMR), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI), इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME), ने हेल्थ मिनिस्ट्री के सहयोग से किए गए रिसर्च में पाया कि पिछले साल 2017 में वायू प्रदूषण (Air Pollution) से हुई मौत में आधे लोगों की उम्र 70 साल से कम थी.


क्या कहता है रिसर्च पेपर?

रिसर्च पेपर के मुताबिक दुनिया की 18 फीसदी आबादी भारत में रहती है लेकिन 26 फीसदी असामयिक मौत (Premature Death) वायु प्रदूषण की वजह से हो रही है. भारत में 77 फीसदी आबादी का सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5) का एक्सपोजर राष्ट्रीय परिवेश गुणवत्ता (National ambient quality) के मानक के दोगुना से भी ज्यादा है.

दरअसल राष्ट्रीय परिवेश गुणवत्ता मानक के मुताबिक 40 μg/m3 पार्टिकुलेट मैटर का एक्सपोजर सुरक्षित माना जाता है लेकिन भारत में औसतन एक्सपोजर 90 μg/m3 है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (Air pollution) का एक्सपोजर सबसे ज्यादा दिल्ली फिर उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा है .

ICMR, PHFI, IHMI और हेल्थ मिनिस्ट्री की ज्वाइंट स्टडी में यह भी पाया गया कि भारत में वायू प्रदूषण (Air pollution) से औसत आयु 1.7 साल घट जाती है . उत्तरी भारत के राज्य जैसे राजस्थान में औसतन आयु 2.5 साल,उत्तर प्रदेश में 2.2 साल और हरियाणा में 2.1 साल वायु प्रदुषण(Air pollution ) से घट जाती है.

एक्सपर्ट का मानना है इस स्टडी के प्रकाशित होने से सरकार वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों पर विशेष ध्यान देगी.  रिसर्च पेपर के मुताबिक वायू प्रदूषण (Air Pollution) की मुख्य वजह मोटर गाड़ियों का इस्तेमाल, धड़ल्ले से चल रहा कंस्ट्रक्शन, थर्मल बिजली उत्सर्जन, डीजल जेनरेटर और मैनुअल सड़क धूल व्यापक है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

एक्सपर्ट मानते हैं कि राज्यों के हिसाब से मिली जानकारियां संबंधित राज्यों को नीति निर्धारण करने में मदद करेंगी जिससे आउटडोर और इनडोर पॉल्यूशन की वजहों पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा. रिसर्च पेपर के मुताबिक सरकार की उज्जवला योजना से वायु प्रदूषण को और बढ़ने देने पर रोक लगाने में काफी मदद मिली है.

सरकार साल 2018 में 5 करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन मुहैया करा चुकी है जो अब साल 2019 में 8 करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन से लाभान्वित करने की योजना है. दरअसल सॉलिड फ्यूल के इस्तेमाल से वायु प्रदूषण काफी ज्यादा होता है.

इतना ही नहीं वायू प्रदूषण से लंग कैंसर,डायबिटीज, क्रोनिक फेफड़े की बीमारी,इस्केमिक दिल का रोग (Ischemic Heart Disease) उसी पैमाने पर होता है जितना की तंबाकू के प्रयोग से इस तरह की बीमारियां होती हैं.

भारत सरकार में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्वास्थ सचिव का कहना है, 'भारत के सभी राज्यों के वायु प्रदुषण के दुष्प्रभाव का सही आकलन मिलने से स्थितियों में सुधार हो सकेगा. देश के राजनीतिक गलियारों में आजकल वायु प्रदुषण के दुष्प्रभाव को लेकर जोरों की चर्चा हो रही है . स्टडी रिपोर्ट में अलग अलग राज्य में वायू प्रदूषण के दुष्प्रभाव की विस्तृत चर्चा वायू प्रदुषण को कम करने में बेहद मददगार साबित होगी.