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नोटबंदी के बाद अब आने वाले हैं प्लास्टिक के नोट

दुनिया के 20 देशों की तरह अब भारत में भी प्लास्टिक के नोट का चलन

Kinshuk Praval

दुनिया के 20 से ज्यादा देशों की तर्ज पर अब भारत में भी जल्द प्लास्टिक के नोट दिखेंगे. जाली नोटों और ब्लैकमनी को रोकने के लिये ऑस्ट्रेलिया ने ही सबसे पहले प्लास्टिक के नोटों का चलन शुरु किया था.

अब भारत सरकार भी प्लास्टिक के नोटों को लेकर गंभीर हो गई है. नोटबंदी के बड़े एलान के बाद अब सरकार प्लास्टिक के नोट लाने की तैयारी में जुट गई है.


संसद में वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि सरकार ने प्लास्टिक या पॉलिमर सबस्ट्रेट बेस्ड नोट छापने का फैसला लिया है. और इसके लिये कच्चा माल खरीदा जा रहा है.

भारतीय रिजर्व बैंक पिछले कई सालों से प्लास्ट‍िक के नोट लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. फरवरी 2014 में यूपीए2 सरकार के दौरान संसद में बताया गया था कि था कि 10 रुपये वाले एक अरब प्लास्ट‍िक नोट छापे जाएंगे. इनके फील्ड ट्रायल के लिए 5 शहर कोच्च‍ि, मैसूर, जयपुर, शिमला और भुवनेश्वर चुने गए हैं.

साल 2014 में सरकार ने संसद को जानकारी दी थी कि फील्ड ट्रायल के लिये शहरों का चयन जलवायु और भौगोलिक स्थिति को देखकर किया गया है.

दुनिया के 20 देशों में प्लास्टिक के नोट

दुनिया के 20 देशों में प्लास्टिक के नोटों का चलन है. ऑस्ट्रेलिया के अलावा इसमें कनाडा, फिजी, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, रोमानिया और वियतनाम शामिल हैं.

ऑस्ट्रेलिया ने सबसे पहले जाली करंसी पर अंकुश लगाने के लिये पॉलिमर नोटों की शुरुआत की.

रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया और सीएसआईआरओ ने मिलकर दुनिया की पहली पॉलिमर करेंसी लॉन्च की. जाली नोटों पर अंकुश का यह सबसे बड़ा कदम था. शुरुआत में10 डॉलर का पॉलिमर नोट छापा गया .

सीएसआईआरओ यानि कॉमनवेल्थ साइंटफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेजाइजेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न ने पहली बार इसका इस्तेमाल किया.

हालांकि दस डॉलर के नोट से स्याही छूटने की शिकायतें सामने आईं. लेकिन बाद में 5 डॉलर का नोट छापने के बाद कोई दिक्कत नहीं आई. उसके बाद 10, 20, 50 और 100 डॉलर के प्लास्टिक के नोट छापे गए.

1996 में ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश बन गया जिसके पास पॉलिमर नोटों की पूरी सीरीज मौजूद थी.

इन प्लास्टिक के डॉलरों की खासियत ये थी कि इनकी उम्र कागज से बने नोटों के मुकाबले दस गुना ज्यादा थी.

प्लास्टिक के नोटों की अवैध रूप से फोटोकॉपी की जा सकती है. लेकिन इनके स्पेशल फीचर और फील को कॉपी नहीं किया जा सकता. जिस वजह से असली और नकली नोटों में कोई भी पहचान आसानी से कर सकता है.

सीएसआईआरओ ने प्लास्टिक के नोटों में एक ऑप्टिकल वेरिएबल डिवाइस भी लगाई है. जिसकी वजह से नोट का एंगल बदलने पर इमेज भी बदल जाती है. प्लास्टिक के नोटों में हाई सिक्युरिटी फीचर्स लगाए गए हैं.

आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक प्लास्टिक करंसी न सिर्फ इको-फ्रेंडली और टिकाऊ है. बल्कि इसमें मौजूद सिक्युरिटी फीचर्स की वजह से इसके ढेर सारे फायदे हैं.

क्लाइमेट चेंज पर पेरिस समझौते के बाद ऐसी उम्मीद है कि बहुत सारे देश भी पॉलिमर नोटों का चलन शुरु करेंगे.

हाल ही में बैंक ऑफ इंग्लैंड ने तीन साल की रिसर्च के बाद सितंबर 2016 में पांच पौंड का पॉलिमर नोट छापा है.

प्लास्टिक के नोट की खासियत

प्लास्टिक के नोटों की नकल करना मुश्किल है. प्लास्टिक के नोटों की उम्र केवल 5 साल होती है.

प्लास्ट‍िक से बने करेंसी नोट पेपर वाले नोटों की तुलना में साफ-सुथरे होते हैं. प्लास्टिक के नोटों पर बैक्टीरिया कम चिपकता है. नोटबंदी के बाद देश के कई बैंकों में पुराने नोट पहुंचाए गए. जिनकी वजह से बैंक कर्मचारियों को फंगस इंफेक्शन होने की खबरें आई.

नोटों और इंसानों के हाथों के बैक्टीरिया पर रिसर्च कर रहे हार्पर एडम्स युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक व्रिस्कूप के मुताबिक इंसानों के हाथों का बैक्टीरिया प्लास्टिक के नोटों पर नहीं चिपक पाता है.

वहीं बैंक ऑफ इंग्लैंड की एक रिसर्च के मुताबिक प्लास्टिक के नोटों की वजह से कागज के नोटों को छापने में लगने वाला कच्चा माल बचता है. जिससे न सिर्फ ऊर्जा की कम खपत होती है बल्कि ग्लोबल वॉर्मिंग में भी कमी आती है. पॉलिमर नोट पर्यावरण के हिसाब से ज्यादा फायदेमंद होते हैं.

बैंक ऑफ कनाडा की एक रिसर्च के मुताबिक पेपर वाले नोट की तुलना में प्लास्ट‍िक नोट से ग्लोबल वार्मिंग में 32 फीसदी की कमी. इससे एनर्जी डिमांड में 30 फीसदी की कमी आती है.

सबसे खास बात ये है कि इन नोटों को री-साइकिल भी किया जा सकता है. री-साइकल के बाद इससे दूसरे प्रोडक्ट तैयार किये जा सकते हैं. जबकि कागज वाले पुराने नोटों को नष्ट करने के लिए जलाना पड़ता है.

प्लास्ट‍िक वाले नोटों का वजन पेपर वाले नोटों की तुलना में कम होता है.ऐसे में इनका ट्रांस्पोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन भी आसान होता है.