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नोटबंदी की वजह से जीडीपी में आई गिरावट: आईएमएफ

आईएमएफ के अनुसार जीडीपी की दर नोटबंदी की वजह से 6.6 फीसदी रहने की उम्मीद है

FP Staff

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक अनुमान के अनुसार 2016-17 के वित्तीय वर्ष में जीडीपी की दर नोटबंदी की वजह से 6.6 फीसदी रहने की उम्मीद है. आईएमएफ ने बुधवार को कहा कि नोटबंदी से पैदा हुई इकनॉमिक अस्थिरता के कारण जीडीपी में गिरावट हो सकती है. इससे पहले जीडीपी के 7.1 फीसदी रहने की उम्मीद की गई थी.

आईएमएफ ने अपने सालाना रिपोर्ट में कहा कि भारत में नवंबर 2016 को की गई नोटबंदी के बाद कैश की कमी और लेनदेन में पैदा हुए संकट की वजह से खपत और बिजनेस में कमी आई. इस वजह से इकनॉमिक वृद्धि दर को बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण काम है.


इस रिपोर्ट में कहा गया है,'नोटबंदी की वजह से 2016-17 के वित्तीय वर्ष में 6.6 फीसदी की धीमी वृद्धि दर दर्ज की जाएगी. हालांकि अगले वित्तीय वर्ष 2017-18 में 7.2 फीसदी की दर से जीडीपी में उछाल आएगी.'

2015-16 में भारत की इकनॉमिक वृद्धि दर 7.6 फीसदी थी. आईएमएफ ने कहा कि अच्छे मानसून, तेल की कीमतों के कम रहने, सप्लाई में वृद्धि, कंज्यूमर सेंटिमेंट और कैश की कमी के खत्म होने के कारण इकनॉमिक वृद्धि दर के तेज होने की संभावना है.

हालांकि रिपोर्ट के अनुसार उद्योग में होने वाला लाभ सामान्य रहेगा और यह सभी सेक्टर्स में अलग-अलग रहेगा.

रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय स्थिरता और इकनॉमिक वृद्धि में तेजी के लिए कैश की कमी को खत्म करना होगा और नोटबंदी के दुष्प्रभाव को जल्दी से खत्म करना होगा.'

आईएमएफ ने कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में तेज इकनॉमिक वृद्धि दर देखी गई है. आईएमएफ के डायरेक्टर्स ने कहा कि भारत को बैंकिंग सेवाओं के विस्तार, महंगाई पर रोक लगाने और मैक्रोइकनॉमिक को मजबूत बनाने के लिए कई कड़े नीतिगत फैसले लेने होंगे.

आईएमएफ ने यह भी सलाह दी है कि इकनॉमिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए सरकार को बाहरी को भीतरी आर्थिक झटकों से निपटने के लिए संस्थागत सुधार करना चाहिए. इसके लिए सप्लाई में तेजी, लाभ में वृद्धि, रोजगार में वृद्धि और इंक्लूसिव ग्रोथ पर सरकार को जोर देना होगा.