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भारत-चीन सीमा विवाद: 'ये सिर्फ शब्दों की लड़ाई चल रही है'

जेएनयू में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली कहते हैं दोनों देशों के हितों के बीच ये टकराव बातों तक ही सीमित रहेगा

Ravishankar Singh

सिक्किम बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच बढ़ती तनातनी के बाद 10 जुलाई से भारत, जापान और अमेरिका सैन्य युद्धाभ्यास करने जा रहे हैं. यह युद्दाभ्यास मालाबार में 1991 से होता आ रहा है.

पहले इस सैनिक युद्धाभ्यास में भारत और अमेरिका ही शामिल हुआ करते थे. लेकिन, साल 2015 से भारत, अमेरिका के साथ जापान भी इस युद्धाभ्यास में नियमित तौर पर भाग लेने लगा है.


जापान ने साल 2007 में भी एक बार संयुक्त सैन्याभ्यास में भाग लिया था पर बाद में कुछ सालों तक जापान इस युद्दाभ्यास में शामिल नहीं हो पाया.

भारत, अमेरिका और जापान के इस सैन्य युद्ध अभ्यास को लेकर चीन की बौखलाहट सामने आने लगी है. विवादित दक्षिणी चीन सागर में चीन की मजबूत होती सैन्य मौजूदगी को देखते हुए और मौजूदा हालात में हिंद महासागर में भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाओं का युद्धाभ्यास करने का फैसला सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

यह सैन्य अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है जब चीनी और भारतीय सेना सिक्कम में आमने-सामने आ गई हैं. भारत अमेरिका के बीच साल 1991 से ही नियमित तौर पर सैन्य अभ्यास होते रहे हैं, हां बीच में पोखरण परमाणु विस्फोट के बाद 1997 और 1998 में मालाबार युद्ध अभ्यास नहीं हुआ था.

इस सालाना सैन्य अभ्यास में तीनों देशों के नौसेना की परमाणु पनडुब्बियां और नौसेना पोत हिस्सा लेंगे.

10 जुलाई को होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास में भारत में किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास होगा. इस सैन्य अभ्यास में तीनों देशों के तीन एयरक्राफ्ट करियर को शामिल किया जा रहा है. भारत ने अब तक किसी भी देश के साथ किए युद्धाभ्यास में एक साथ तीन एयरक्राफ्ट करियर का इस्तेमाल नहीं किया है.

इस सैन्य अभ्यास में भारत के आईएनएस विक्रमादित्य, जापान के इजूमो जो हेलिकॉप्टर्स करियर हैं और अमेरिका का निमित्ज एयरक्राफ्ट करियर शामिल होगा.

इजरायल के बाद भारत पहला देश है जहां अमेरिका सैन्य युद्धाभ्यास में न्यूक्लियर सबमरीन लेकर आ रहा है. इस युद्धाभ्यास में सबसे बड़ा एंटी सबमरीन हथियार भी शामिल भी किया जा रहा है.

चीन भारत, अमेरिका और जापान के इस संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास को संदेह की नजर से देख रहा है. चीन को लगने लगा है कि अमेरिका भारत और जापान के जरिए चीन को घेरने में लग गया है.

सिक्किम सीमा पर चीन की हरकतें भारत के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं. चीन के सरकारी अखबार के मुताबिक सिक्किम के डोकलाम में भारत के साथ तनातनी के बाद चीन ने समुद्र तल से 5 हजार 100 मीटर की ऊंचाई पर सैन्य अभ्यास किया है.

सिक्किम सीमा पर चल रहे गतिरोध के बीच चीन लगातार यह राग अलाप रहा है कि भारत के सेना हटाने के बाद ही कोई बातचीत होगी. चीन ने भारत के उस दावे को भी खारिज किया जिसमें डोकलाम को भूटान का हिस्सा बताया गया है. चीन का कहना है कि चीन के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं जिससे यह साबित होता है कि डोकलाम भूटान का हिस्सा न होकर चीन का हिस्सा है.

भारत में चीनी दूतावास के पॉलिटिकल काउंसलर ली या ने अपने एक स्टेटमेंट में दावा किया कि भारत के दावे का कोई सबूत नहीं हैं कि डोकलाम भूटान का है. ली या ने दावा किया कि चीन के पास ये साबित करने के लिए कई पुराने रिकॉर्ड हैं कि डोकलाम चीन से जुड़ा है.

चीन संबंधित मामलों के जानकार जेएनयू में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं कि, 'चीन की चाल भारत के पूर्वी क्षेत्र को लेकर साल 2005 से ही बढ़ गई थी.'

श्रीकांत कोंडापल्ली कहते हैं कि,'मालाबार एक्सरसाइजेज और सिक्किम विवाद का कोई कनेक्शन नहीं है. मालाबार युद्धाभ्यास 2015 से नियमित हो रहे हैं. अमेरिका के साथ मालाबार एक्सरसाइज 1991 से चल रहे हैं. दोनो के बीच बहुत अंतर है एक जमीन विवाद का मसला है तो दूसरा समुद्री सीमा को लेकर है.'

श्रीकांत कोंडापल्ली भारत चीन के बीच युद्ध की किसी भी संभावना से इंकार करते हुए कहते हैं, 'हमने लार्ज स्केल पर आर्मी का कोई मोबलाइजेशन देखा नहीं है. अगर भारत की मीडिया या लोग चीन की ग्लोबल टाइम्स पढ़ रहे हैं तो आपको लगता है कि यह एक युद्ध वाली स्थिति है. लेकिन, ग्लोबल टाइम्स मिलिट्री नहीं है.

दूसरा अगर युद्ध की स्थिति होती है तो लाखों सैनिकों का मोबलाइजेशन होता है जो कि हमें दिखाई नहीं देता है. चाइना ने तीन हजार सोल्जर्स को मोबलाइज किया तो भारत ने भी तीन हजार सोल्जर्स को ही मोबलाइज किया. यानी कि 6 हजार सैनिक तीन बिलियन लोगों के लिए कोई खतरा नहीं हैं. ये सिर्फ और सिर्फ शब्दों की लड़ाई है.'

श्रीकांत कोंडापल्ली आगे कहते हैं कि, 'अभी मोदी साहब इजरायल में हैं. सारे डिसिजन मेकर्स भी इजरायल में हैं. हमने या आप लोगों ने ये नहीं देखा कि कोई जल्दबाजी है या सेना का कोई मोबलाइजेशन हुआ है.'

दूसरी तरफ भारत के एक और रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, 'चीन नहीं चाहता है कि मालाबार में भारत किसी भी प्रकार का कोई सैन्य अभ्यास करे. मुझे ये भी लगता है कि चीन भारत को पश्चिमी देशों के साथ जाने के लिए उकसा भी रहा है.'

कमर आगा आगे कहते हैं, ' चीन को लगने लगा है कि आने वाले समय में जो ग्लोबल प्रोडक्शन का हब है वो भारत बनने जा रहा है. चीन की बौखलाहट इसी बात को लेकर है.'

कमर आगे कहते हैं, 'चीन बौखलाहट को अब ताकत का रूप देना चाह रही है. सिक्किम में जो ताजा विवाद है उसी बौखलाहट का नतीजा है. दक्षिण महासागर में चीन को लगभग 8 देशों के साथ समुद्री सीमा को लेकर विवाद है. जापान के साथ ईस्ट चाइना सी को लेकर प्रॉब्लम है. भारत के साथ उसका प्रॉब्लम पहले से ही चल रहा है. अब उसने भूटान के साथ विवाद शुरू कर दिया है.'

कमर आगा के मुताबिक सिक्किम सीमा पर जिस जगह चीन रोड बना रहा है, वह भारत के सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. उस जगह एक तरफ भारत है दूसरी तरफ चीन है तो तीसरी तरफ भूटान है. भारत के लिए यह जगह महत्वपूर्ण इसलिए है कि इस जगह से सिलीगुड़ी सिर्फ 50 किलोमीटर दूर है. जहां से हमारी सारी सप्लाई और कनेक्टिविटी नॉर्थ-ईस्ट स्टेट से है. भारत कभी नहीं चाहेगा कि यहां पर कोई रोड बने. यह जो रोड बन रही है वह मिलिट्री यूज के लिए बन रही है. भूटान भी इसके खिलाफ है. क्योंकि भूटान के साथ चीन का कोई रिलेशनशिप नहीं है ऐसे में भारत का यह कर्तव्य बनता है कि वह भूटान के साथ मजबूती से खड़ा रहे.

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सिक्किम विवाद को हवा देकर चाइना भारत को हर तरफ से घेरने की चाल चल रहा है. चीन सिक्योरिटी कांउसिल का मेंबर भी है जिसका काम होता है कि शांति को बढ़ावा देना और वह युद्ध को बढ़ावा देने की बात करता है.