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कासगंज में नहीं निकलेगी तिरंगा यात्रा, पुलिस का सख्त पहरा

इस साल 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान चंदन नाम के एक युवक की हत्या हो गई थी, जिसकी वजह से यात्रा पर रोक लगा दी गई है

FP Staff

26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान भड़की हिंसा को ध्यान में रखते हुए 15 अगस्त को कासगंज जिले में तिरंगा यात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी गई है. जिले में चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है और धारा 144 को सख्ती से लागू किया गया है. इसी साल 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान चंदन गुप्ता नामक युवक की हत्या हो गई थी, जिसके बाद शहर का माहौल बिगड़ गया था.

अलीगढ़ मंडल के कमिश्नर अजयदीप सिंह ने बताया कि जनपद में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए तिरंगा यात्रा समेत किसी भी नए कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी गई है. जिले में धारा 144 लागू है. उन्होंने जनपदवासियों से सौहार्दपूर्ण माहौल में स्वतंत्रता दिवस मनाने की अपील की.


अजयदीप सिंह ने कहा कि किसी को भी शांति और कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा. जनपद में अमन-चैन बना रहे इसके लिए सभी लोग सहयोग करें. इस बीच कासगंज में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गई है. कासगंज में पीएसी की तीन कम्पनियां और आरएएफ की एक कंपनी तैनात की गई है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता आहत 

उधर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता, तिरंगा यात्रा की अनुमति न दिए जाने और मुचलका भरकर घर में रहने की हिदायत मिलने से आहत हैं. विद्यार्थी परिषद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को ट्वीट के माध्यम से प्रशासन के रुख से अवगत कराया है.

कासगंज के एसपी शिवहरि मीणा ने बताया कि 15 अगस्त को दो पक्षों की तरफ से जिला प्रशासन से तिरंगा यात्रा निकालने की अनुमित मांगी गई है. पुलिस ने प्रशासन को तिरंगा यात्रा निकालने की इजाजत नहीं देने की सिफारिश की है, जिससे शहर में पहले जैसी कोई घटना न हो. विश्व हिन्दू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की ओर से निकाली जा रही मोटरसाइकिल रैली पर पथराव के बाद हिंसा भड़क उठी थी. इसके बाद हुई आगजनी और फायरिंग में एक युवक चंदन गुप्ता की मौत हो गई, जबकि दो अन्य घायल हो गए थे.

इस हिंसा में मारे गए चंदन गुप्ता के मामले में पुलिस ने नामजद आरोपियों की लिस्ट जारी की थी जिसके बाद इस मामले में 117 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. हिंसा में दर्ज 5 एफआईआर के तहत 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि 81 लोगों को धारा-144 के उल्लंघन के आरोप में अरेस्ट किया गया था. कासगंज हिंसा के दौरान शहर में आगजनी की 7 एफआईआर भी दर्ज की गई थी.