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सीबीआई केस: अधिकारी मनीष कुमार का दावा, गिरफ्तार बिजनेसमैन ने NSA अजित डोवाल के साथ बताए नजदीकी संबंध

सीबीआई में चल रहे आंतरिक युद्ध का अंत होता नहीं दिख रहा है. सीबीआई के एक और अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

FP Staff

सीबीआई में चल रहे आंतरिक युद्ध का अंत होता नहीं दिख रहा है. सीबीआई के एक और अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने एक याचिका डालकर देश की सर्वोच्च अदालत से उनके नागपुर ट्रांसफर के आदेश को खारिज करने की मांग की है. इस याचिका में सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज FIR पर SIT जांच की मांग की गई है.

2000 बैच के आईपीएस अफसर मनीष कुमार ने तीस पेज की याचिका में आरोप लगाया है कि बिजनेसमैन मनोज प्रसाद ने शेखी बघारी थी कि उसके पिता के बहुत अच्छे संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के साथ में हैं. मनोज प्रसाद को बीते 16 अक्टूबर को रिश्वत के एक प्रकरण में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.


मनोज प्रसाद को एक और बिजनेसमैन सतीश बाबू सना से 5 कराड़ की घूस मांगने संबंधी मामले में गिरफ्तार किया गया था. सना के मुताबिक मनोज प्रसाद सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की तरफ से डील कर रहा था और उसने वादा किया था कि अगर 5 करोड़ रुपए की रिश्वत दे दी गई तो सीबीआई उस पर सख्त नहीं होगी.

मनीष के अनुसार, 'जैसे ही मनोज को सीबीआई हेडक्वार्टर लाया गया उसने सबसे पहले एनएसए के साथ अपने संबंधों की हवाला दिया और साथ इस आश्चर्य भी जताया कि आखिर अजित डोवाल के साथ इतने बेहतर संबंध होने के बावजूद सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कैसे कर लिया.'

याचिका में लगाए गए आरोपों के मुताबिक मनोज ने रॉ के विशेष सचिव के साथ भी अपने करीबी संबंधों का हवाला दिया था. याचिका के मुताबिक, ' मनोज ने डींगें मारना शुरू कीं और कहा कि उसके भाई सोमेश के दुबई में काम कर रहे एक अधिकारी के साथ अच्छे संबंध हैं और साथ रॉ के विशेष सचिव सामंत गोयल के साथ भी. वो हमें बाहर निकलवाने/खत्म करने करने की धमकियां भी दे रहा था.'

याचिका के अनुसार मनोज ने अधिकारियों को अपनी हद में रहने की धमकी भी दी थी. उसने दावा किया कि हाल ही में उसके भाई सोमेश और सामंत गोयल ने एनएसए अजित डोवाल की किसी जरूरी मामले में मदद भी की थी.

याचिका में यह भी कहा गया कि एनएसए अजित डोवाल के बारे में मनोज प्रसाद के दावों की पुष्टि नहीं की जा सकी है. हालांकि मनोज का एक दावा सही साबित हुआ है. याचिका के मुताबिक, 'ऐसा मालूम चला कि भारत इंटरपोल में डेलिगेट की पोस्ट के लिए कोशिशें कर रहा था. भारत के नॉमिनी थे सीबीआई पॉलिसी के ज्वाइंट डायरेक्टर एके शर्मा. भारत के अलावा दौड़ में चार और देश शामिल थे. इसके लिए चुनाव नवंबर महीने के तीसरे सप्ताह में किया जाना था.'

स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे मनीष कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उनका ट्रांसफर जांच की दिशा बदलने और राकेश अस्थाना को मदद पहुंचाने की वजह से किया गया है. हालांकि सीजेआई रंजन गोगोई ने याचिका पर तुरंत सुनवाई यह कर रिजेक्ट कर दी कि 'हमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं लगता.'

एक और अधिकारी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

इसी बीच एक और अधिकारी अश्विनी गुप्ता भी बीते सुप्रीम कोर्ट यह आरोप लगाते हुए पहुंचे है कि आईबी उनका ट्रांसफर बदनीयती के साथ किया गया है. गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्हें उनकी मूल संस्था आईबी में भेजा गया और जवाब यह दिया गया कि सीबीआई के पास कार्यकाल बढ़ाने का कोई ऑर्डर नहीं आया है.