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फिर सुर्खियों में हैदराबाद यूनिवर्सिटी, इस बार रोटी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं छात्र

यूनिवर्सिटी कैंपस से चारों तरफ पोस्टर लगा दिए गए हैं जहां चीफ वॉर्डन को 'रोटी चोर' कहा जा रहा है. इसके अलावा यहां के छात्र सोशल मीडिया पर भी रोटी को लेकर अपडेट्स डाल रहे हैं

FP Staff

साल 2016 में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पीएचडी के छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. दो साल बाद एक बार फिर से हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी सूर्खियों में है. इस बार छात्र और कॉलेज प्रशासन रोटी को लेकर झगड़ा कर रहे हैं. उत्तर भारत के छात्र शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें नियमित तौर पर खाने में रोटी नहीं मिल रही है.

यूनिवर्सिटी कैंपस से चारों तरफ पोस्टर लगा दिए गए हैं जहां चीफ वॉर्डन को 'रोटी चोर' कहा जा रहा है. इसके अलावा यहां के छात्र सोशल मीडिया पर भी रोटी को लेकर अपडेट्स डाल रहे हैं.


छात्र संघ चुनाव में रोटी बना है मुद्दा

छात्र संघ के चुनाव में रोटी छात्रों के बीच मुद्दा बन गया है. उत्तर भारतीय छात्रों का वोट बटोरने के लिए छात्र नेता यूनिवर्सिटी में लगातार खाने में रोटी देने की बात कर रहे हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कैंपस में खुद रोटी बना कर इसका विरोध किया. न्यूज़18 ने यहां के स्टूडेंट्स और प्रशासन से ये समझने की कोशिश की कि आखिर क्यों रोटी एक विवादित मुद्दा बन गया है.

कैंपस में लगभग 1000 उत्तर भारतीय छात्र हैं. यहां के मेस में ज्यादातर कर्मचारी हैदराबाद से हैं. यहां के स्टाफ ट्रेंड नहीं हैं. स्टूडेंट्स की शिकायत है कि ये यहां पर ठीक तरीके से रोटी नहीं बनाई जाती है. इसके अलवा स्टूडेंट्स को हर रोज खाने में रोटी नहीं दी जाती है.

रोटी नहीं मिलने पर प्रदर्शन

ABVP के यूनिवर्सिटी इंचार्ज अभिषेक मलहोत्रा का कहना है कि रोटी लगातार न मिलने के चलते स्टूडेंट्स ने कैंपस में विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा, 'ये एक सेंट्रल सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. यहां देश के हर कोने से स्टूडेंट्स आते हैं लेकिन उनका खयाल नहीं रखा जाता है. उत्तर भारत के स्टूडेंट्स को रोटी खाने की आदत है. इतनी कम रोटी बनती है कि काफी कम लोगों को ये मिलती है.' उन्होंने कहा कि 'रोटी का मुद्दा' कई बार आया है लेकिन अभी तक इसे सुलझाया नहीं गया है.

रोटी के इस झगड़े में यूनिवर्सिटी के वॉर्डन वासुकी बेलावाडी हैं. यहां के स्टूडेंट्स इन्हें ही 'रोटी चोर' कह रहे हैं. बेलावाडी ने कहा, दक्षिण भारत के सैकड़ों छात्र जेएनयू जैसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी में जाते हैं. क्या वे रोजाना वहां कर्नाटक के सांभर की मांग करते हैं? नहीं, उन्हें पनीर खाने के लिए मिलता है.

उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सिटी को 1974 में स्थापित किया गया था. उत्तर भारतीय छात्रों की मांग के बाद 2010-11 के बाद से यहां रोटी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि साल 2014 में कई कर्मचारी रिटायर हो गए. इसके बाद से यहां स्टाफ की कमी है.

वासुकी बेलावाडी ने कहा, हर हॉस्टल में चपाती उपलब्ध नहीं है. कैसे हर 29 राज्यों के टेस्ट का ख्याल रखा जा सकता है. छात्र खुद यहां मेन्यू तैयार करते हैं. उन्होंने कहा कि तमाम दिक्कतों के बावजूद स्टूडेंट्स को रोटी दी जा रही है.

(न्यूज18 के लिए इरम आगा की रिपोर्ट)