मंगलवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह दावा किया कि संघ ने अपने स्वयंसेवकों से किसी पार्टी विशेष के लिए काम करने को कभी नहीं कहा. लेकिन उन्हें राष्ट्रीय हितों के लिए काम करने वाले लोगों का समर्थन करने की सलाह अवश्य दी है.
आरएसएस के तीन दिवसीय सम्मेलन में दूसरे दिन भागवत ने इस टिप्पणी के जरिए आरएसएस के कामकाज और बीजेपी के काम के बीच विभेद करने का प्रयास किया. बीजेपी को वैचारिक तौर पर संघ के साथ सम्बद्धित माना जाता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित इसके कई शीर्ष नेताओं की आरएसएस पृष्टभूमि रही है.
उन्होंने बीजेपी का नाम लिए बिना कहा कि ऐसी धारणा है कि आरएसएस किसी पार्टी विशेष के कामकाज में मुख्य भूमिका निभाता है क्योंकि उस संगठन में इसके बहुत सारे कार्यकर्ता हैं. भागवत ने कहा, ‘हमने कभी स्वयंसेवक से किसी पार्टी विशेष के लिए काम करने को नहीं कहा. हमने उनसे राष्ट्रीय हित के लिए काम करने वालों का समर्थन करने को अवश्य कहा है. आरएसएस राजनीति से दूर रहता है किन्तु राष्ट्रीय हितों के मुद्दे पर उसका दृष्टिकोण है.’
सत्ता में कौन आता है इसकी परवाह संघ को नहीं है
उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि संविधान की परिकल्पना के अनुसार सत्ता का केन्द्र होना चाहिए और यदि ऐसा नहीं है तो वह इसे गलत मानता है. सम्मेलन के पहले दिन सोमवार को भागवत ने कहा कि आरएसएस प्रभुत्व नहीं चाहता और इसकी कोई परवाह नहीं है कि सत्ता में कौन आता है.
भागवत ने सोमवार को ‘भविष्य का भारत -आरएसएस का दृष्टिकोण’ कार्यक्रम के जरिए आरएसएस और उसकी विचारधारा को लेकर आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया. उन्होंने दावा किया कि आरएसएस बहुल लोकतांत्रिक है और तानाशाही नहीं.