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12 साल में सूचना के अधिकार के तहत मिले 2.44 करोड़ आवेदन

‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया’ की जारी रिपोर्ट में केंद्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा जानकारियां मांगी गई, जबकि राज्य स्तर पर आरटीआई दाखिल करने के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा

Bhasha

कानून के तहत सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनने के बाद के 12 वर्षों में आरटीआई के तहत देश में मात्र 2.44 करोड़ आवेदन किए गए हैं.

आरटीआई के तहत केंद्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा जानकारियां मांगी गई, जबकि राज्य सूचना स्तर पर आरटीआई दाखिल करने के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा.


भ्रष्टाचार और पारदर्शिता पर काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया’ ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार साल 2005 से 2017 तक की अविध के दौरान केंद्रीय स्तर के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से संबंधित जानकारियां मांगने वाले कुल 57,43,471 आवेदन प्राप्त हुए. जबकि द्वितीय अपील और शिकायतों की कुल संख्या 13,48,457 रही. इसमें तमिलनाडु के आंकड़े शामिल नहीं हैं.

राज्य में जानकारियां मांगने वालों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है. बताए गए समय के दौरान महाराष्ट्र में आरटीआई के कुल 54,95,788 आवेदन मिले. इसी अवधि में कर्नाटक के कुल 22,78,082 लोगों ने अपने इस अधिकार का प्रयोग किया, जबकि आंध्र प्रदेश में 6,99,258 आवेदनों के जरिए विभिन्न विभागों से सूचना मांगी गई.

सूचना के अधिकार का सबसे कम प्रयोग करने वालों राज्यों में मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, मेघालय तथा नगालैंड हैं.

12 अक्टूबर, 2005 से सूचना का अधिकार अधिनियम केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों (जम्मू-कश्मीर 2009 में) स्थानीय शहरी निकायों, पंचायती राज संस्थाओं और उन सभी निकायों पर, जो सरकारों के स्वामित्व या उसके द्वारा स्थापित, नियंत्रित अथवा वित्तपोषित गैर सरकारी संगठनों में लागू है.

सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की मूल प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘सूचित नागरिकता’ और ‘सूचना की पारदर्शिता’ प्रभावी लोकतंत्र हेतु इसलिए अपेक्षित है, क्योंकि इससे प्रशासन में भ्रष्टाचार को मिटाते हुए अधिक जिम्मेदारी से कार्य संचालित हो सकेंगे.

सूचना के अधिकार का प्रयोग करने के कुल आवेदनों की संख्या के आधार पर पांच टॉप के राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और बिहार शामिल हैं.