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IIT रूड़की के वैज्ञानिकों ने चिकनगुनिया से लड़ने को तैयार की दवा

वर्तमान में चिकनगुनिया के इलाज के लिए कोई टीका या एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है

Bhasha

आईआईटी रूड़की के वैज्ञानिकों ने चिकुनगुनिया से लड़ने के लिए दवा की खोज की है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि पेट के कीड़े मारने के लिए सामान्य तौर पर ली जाने वाली 'पिपराजीन' टैबलेट में एंटीवायरल गुण हैं. यह मच्छरों से फैलने वाले रोग चिकनगुनिया के इलाज में काम आ सकती है.

वर्तमान में चिकनगुनिया के इलाज के लिए कोई टीका या एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है. इसके इलाज के तहत इसके संक्रमण से जुड़े लक्षणों में राहत पर जोर रहता है.


उत्तराखंड के रूड़की के आईआईटी प्रोफेसर शैली तोमर ने कहा, ‘हमारे अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि बाजार में उपलब्ध एक दवा पिपराजीन प्रयोगशाला परिस्थितियों में चिकनगुनिया के वायरस को फैलने से रोकने में सफल रही.’

यह अध्ययन जर्नल ‘एंटीवायरल रिसर्च’ में छपा है 

तोमर ने कहा, ‘हम वर्तमान में मॉलीक्यूल का जानवरों पर परीक्षण कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा.’ पिपराजिन दवा राउंडवार्म और पिनवार्म के खिलाफ इलाज में सामान्य तौर पर ली जाती है. यह अध्ययन जर्नल ‘एंटीवायरल रिसर्च’ में छपी है.

चिकनगुनिया मच्छर से होने वाला एक वायरल बुखार है. चिकनगुनिया फैलाने वाले एडीस एजिप्टी मच्छर दिन में काटते हैं. इसका संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं होता है. इसके लक्षणों में अचानक जोड़ों में दर्द होना और बुखार शामिल हैं.