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IIT Madras के मेस में वेज-नॉन वेज छात्रों के लिए बना अलग एंट्री गेट

कुछ छात्रों के अनुसार, पिछले साल मई में 'बीफ फेस्टिवल' के दौरान खुद को संघ परिवार के समर्थक होने का दावा करने वाले छात्रों ने इसमें हिस्सा लेने वाले एक रिसर्च स्कॉलर की कथित तौर पर पिटाई की थी

FP Staff

आईआईटी-मद्रास के कैंटिन में कथित तौर पर शाकाहारी और मांसाहारी छात्रों के लिए अलग-अलग प्रवेश-निकास गेट और वॉश बेसिन निर्धारित करने वाले पोस्टर लगाए गए हैं. पोस्टर पर लोकल केटरर का नाम लिखा है और इसे मेस के मुख्य दरवाजे पर चिपकाया गया है. मेस में लगाए गए इन पोस्टरों के बाद छात्रों के एक वर्ग ने इस पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए पोस्टर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं.

एनडीटीवी की खबर अनुसार सोशल मीडिया पर शेयर की गई इन तस्वीरों को देखकर एक अधिकारी ने ऐसी कोई भी जानकारी होने से मना करते हुए कहा कि अगर यह बात सच हुई तो इन पोस्टर को हटा दिया जाएगा.


छात्रों में से एक का कहना है कि ये पोस्टर हिमालया मेस कॉम्पलेक्स के सेकेंड फ्लोर पर स्थित नॉर्थ इंडियन मेस के दोनों मुख्य द्वारों पर लगी है. पोस्टर पर शाकाहारी छात्रों के लिए अलग एंट्री गेट और मांसाहारी छात्रों के लिए अलग एंट्री गेट का निर्देश दिया गया है. साथ ही हाथ धोने के लिए अलग बेसिन की भी व्यवस्था की गई है.

सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्टर की तस्वीरों में से एक में - 'हैंड वॉश शाकाहारी छात्र' लिखा है. तो वहीं दूसरे में ' ठंड की छुट्टीयों के लिए मेस के खाने का इंतजाम. मांसाहारी छात्रों के लिए प्रवेश और निकास द्वार' लिखा है.

शुद्ध शाकाहारी मेस बनाने की उठी थी मांग

इस सिलसिले में जब पीटीआई ने संस्थान के मेस मॉनिटरिंग एंड कंट्रोल कमिटी से बात की तो उन्होंने ऐसे किसी भी पोस्टर के लगे होने की कोई जानकारी ना होने क हवाला देते हुए कहा कि कुछ जैन छात्र हैं जिनके लिए बिना प्याज-लहसुन का अलग खाना बनाया जाता है, लेकिन ऐसी किसी पोस्टर की जानकारी उन्हें नहीं है.

वहीं संस्थान में पढ़ रहे एक रिसर्च स्कॉलर ने कहा कि पिछले साल एक शुद्ध शाकाहारी मेस बनाने की मांग उठी थी, लेकिन हमें नहीं पता था कि इस मांग के रूप में छुआछूत की परंपरा शुरू हो जाएगी.

नाम ना बताने की शर्त पर एक छात्र ने कहा, 'यह पहली बार है जब किसी मेस में शाकाहारियों और मांसाहारी लोगों के लिए दो अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, यहां तक कि अलग धोने वाले बेसिन और अलग बर्तन भी अलग-अलग हैं.

कुछ छात्रों के अनुसार, पिछले साल मई में 'बीफ फेस्टिवल' की घटना के बाद से छात्रों के एक वर्ग ने अलग शाकाहारी मेस की मांग की थी. इसी दौरान खुद को संघ परिवार के समर्थक होने का दावा करने वाले छात्रों ने बीफ फेस्टिवल में हिस्सा लेने वाले एक रिसर्च स्कॉलर की कथित तौर पर पिटाई की थी.