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मैं 'गे' हूं... और क्यों आपको मुझे महिला दिवस पर विश करना चाहिए

गे हूं और मेरे भीतर भी औरत का दिल है इसलिए मुझे भी महिला दिवस की शुभकामनाए दें

Mister Mastan

मैं एक गे हूं और आज महिला दिवस है. आप सोचेंगे की इन दो बातों का एक दूसरे से क्या लेना देना है? मुझे और मेरे जैसे तमाम गे लोगों को भी महिला दिवस पर शुभकामनाएं चाहिए.

आप कहेंगे क्यों? एक लड़का जो लड़कों की ओर आकर्षित है उसे महिला दिवस की शुभकामनाएं क्यों चाहिए. इस का जवाब है मेरे पास.


मैं किसी औरत से कम नहीं

आप महिला दिवस क्यों मनाते हैं? क्या केवल इसलिए क्योंकि औरत का शरीर पुरुषों से अलग होता है! या औरतें पुरुषों जितने बलात्कार और हत्याएं नहीं करतीं. या औरतें आदमियों जितना तेज गाड़ी चला कर राह चलते लोगों को नहीं कुचल कर मारतीं.

मेरे खयाल से नहीं. आप महिला दिवस इसलिए मनाते हैं क्योंकि आप ये मानते हैं कि महिला के भीतर निस्स्वार्थ प्रेम ज्यादा होता है.

आप महिला दिवस इसलिए मनाते हैं क्योंकि आप मानते हैं कि औरत का सहारा आदमी को जानवर से आदमी या आदमे से महान आदमी बनने के सफर में मदद करता है.

आप महिला दिवस इसलिए मनाते हैं क्योंकि आप इस बात को स्वीकार करते है कि ये दुनिया बिना औरतों के इतना सुंदर नहीं होती.

हमें भी चाहिए शुभकामनाएं

आज सोशल मीडिया पर वुमन’स डे की बहुत चर्चा चल रही है. ब्रांड्स विमन एम्पावरमेंट के वीडियो बना रहे हैं.  व्हाट्सऐप पर भी पोस्ट्स की बौछार चल रही है. इसी के चलते मुझे आज एक मेसेज आया, जिसमें वुमन का फुल फॉर्म बताया है किसी ने. W– वंडरफुल मदर O – आउटस्टैंडिंग फ्रेंड M – मार्वेल्स डॉटर A – एडमायरेबल सिस्टर N – नाइसिस्ट गिफ्ट टू मएन फ्रॉम गॉड.

मेरे भीतर भी है एक औरत

तो यकीन मानिए ये सारी बातें मुझमे भी हैं. मेरे अंदर भी एक औरत है. मेरे जैसे तमाम गे लोगों के अन्दर भी औरतों की यह खूबियां हैं. तो आप मेरे साथ या मेरे जैसे लोंगो के साथ इस खराब व्यवहार क्यों करते हैं.

जब भी मैं लोगों को बताता हूं कि मैं गे हूं, जैसा मैंने आपको अभी बताया, तो मुझे अलग अलग तरह के रिस्पॉन्स मिलते हैं. यकीन मानिए ज्यादातर मुझे अच्छे नहीं लगते.

बॉस तू गे नहीं लगता

एक रिस्पॉन्स या रिएक्शन जो हर एक शख्स का मेरे प्रति कॉमन है वो है ‘बॉस, तू एकदम गे नहीं लगता है.’

इन सभी लोगों के हिसाब से गे वही हो सकता है जो लड़कियों की तरह व्यवहार करता हो. मैं, दूसरी ओर एक ऐसा शख्स हूं जो उनकी नजर में लड़कियों की तरह नहीं बात या जीवन जीता करता.

आम तौर पर ये लोग इसके बाद जो लड़के लड़कियों की तरह व्यवहार करते हैं उनका मजाक बनाने लगते हैं.

वक्त है निकल जाएगा

जब भी मैंने यह बात अपने किसी भाई-बहन यार-दोस्त रिश्तेदार को बताई है तो मुझे अलग अलग तारीखे के रिस्पॉन्स मिले हैं.

भाई-बहन को लगा की यह एक फेज है जो गुजर जाएगा. कुछ दोस्तों को लगा की उनके लिए यह एक अचीव्मेंट है की उनका मैं पहला गे फ्रेंड हूँ, और कुछ दोस्तों ने मुझसे धीरे धीरे दूरियां बढ़ा दी.

तभ मुझे अहसास हुआ की सबको मेरे गे होने यानी, लड़कों को पसंद करने से कोई आपत्ति नहीं है.

बल्कि बस वो यह चाहते हैं कि उनका दोस्त, लड़कियों की तरह हरकतें ना करता हो वरना उनकी अपनी इज्जत उन्हें खतरे में लगती है.

कितने पाखंडी हैं ये लोग.

क्या आप भी ऐसी ही हैं. अगर हैं तो क्या बदल सकते हैं.

(लेखक का नाम काल्पनिक)