एक ताजा सर्वे के अनुसार देर रात तक मोबाइल फोन या लैपटॉप से चिपके रहने की आदत या शिफ्टों में काम करने की मजबूरी के चलते भारत में लोगों की नींद लगातार कम हो रही है.
फिलिप्स की ओर से किए गए 'बेटर स्लीप बेटर हेल्थ' शीर्षक एक सर्वे के अनुसार एक वैश्विक सर्वेक्षण की मानें तो 32% भारतीय व्यस्कों की नींद कम होने की प्रमुख वजह टेक्नोलॉजी से होने वाला व्यवधान है. वहीं 19% को लगता है कि सोने के आम समय के दौरान कार्यालयों में काम करना भी उनकी नींद का दुश्मन बन गया है.
उल्लेखनीय है कि अब 24 घंटे काम करने का चलन है जिससे लोग सोने का जो आम समय है उस दौरान वह पालियों में काम करते हैं. इससे उनकी नींद लगातार कम हो रही है. इसे ‘शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर’ कहते हैं.
सर्वेक्षण में सामने आया है कि 45% भारतीय अच्छी नींद के लिए ध्यान लगाते हैं वहीं 24% लोग सोने के विशेष तरीके इस्तेमाल करते हैं.
26% है दुनियाभर में अनिद्रा से प्रभावित लोगों की संख्या
हालांकि दुनिया भर में सोने में व्यवधान को लेकर जागरुकता बढ़ रही है लेकिन सर्वेक्षण के मुताबिक भारतीय इसे लेकर जरा भी सजग नहीं है. यह उनकी प्राथमिकता में भी नहीं है.
सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘भारतीयों का मानना है कि तकनीक उनकी नींद में खलल का मुख्य स्रोत बन गई है. वे गहरी नींद की जगह व्यायाम को तरजीह देते हैं.’
सर्वेक्षण में शामिल हुए लोगों के उत्तर के हिसाब से दुनियाभर में अनिद्रा से प्रभावित लोगों की संख्या 26% है, जबकि 21% लोग खर्राटों की वजह से जागते रहते हैं. 58% लोगों को चिंता की वजह से भी अच्छी नींद नहीं आती है वहीं 26% लोगों की नींद की दुश्मन टेक्नोलॉजी है.
इस सर्वेक्षण में 13 देशों के 15,000 वयस्कों ने भाग लिया. इसके मुताबिक 77% लोगों ने अपनी नींद बेहतर बनाने के प्रयास किए हैं. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, फ्रांस, भारत और चीन शामिल हैं.