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दिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिये कितना तैयार?

दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए.

Kinshuk Praval

गुरुवार सुबह दिल्ली और एनसीआर का इलाका भूकंप के झटकों से दहल गया. सुबह करीब 4.30 बजे दिल्ली समेत हरियाणा और राजस्थान के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.4 मापी गई है. हरियाणा में रेवाड़ी के पास बावल भूकंप का केंद्र बताया जा रहा है. दिल्ली, नोएडा समेत राजस्थान में जयपुर और अलवर में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किये गए. हालांकि अभी तक जानमाल के नुकसान की खबर नही है.

भूकम्प यानी एक ऐसा नाम जो रोंगटे खड़े कर देता है. भूकंप की विनाशलीला की कल्पना भर से दिल दहल जाता है.  गंभीर सवाल ये है कि अगर दिल्ली और एनसीआर में बड़ी तीव्रता का भूकंप आता है तो उससे निपटने के लिए क्या तैयारी है?


खतरे से बाहर नहीं है दिल्ली 

दिल्ली एनसीआर सीसमिक जोन 4 में आते हैं जो कि भूकंप के खतरे से बाहर नहीं है. यही वजह थी कि दिल्ली में बहुमंजिली इमारतें नहीं बनाई जाती थीं. लेकिन अब ऊंची ऊंची गगनचुंबी इमारतें भूंकप के खतरे को देखते हुए बेहद डरावनी नजर आती हैं. पूरा दिल्ली-एनसीआर का इलाका नियम कायदों को ताक पर रखे गए निर्माण की वजह से भूकंप के खतरों के करीब आ चुका है. सिर्फ सोच कर ही सिहरा जा सकता है कि अगर 6 या उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप दिल्ली में आ गया तो क्या होगा ?  जिस तरह से इमारतें बनी हैं और संकरी गलियों में अवैध निर्माण कर ऊंचे मकान बनाएं गए हैं वो भूकंप का झटका नहीं झेल सकती हैं.

हाल ही में एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि हिमालय में एक बड़ा भूकंप आना तय है. हिमालय की हलचल वाली रेंज से दिल्ली केवल ढाई सौ किमी दूर है. अगर हिमालय में 7-8 की तीव्रता का भूकंप आता है तो फिर दिल्ली में तबाही को कोई नहीं रोक सकता. याद कीजिए जब गुजरात में आए भूकंप का केंद्र भुज था. लेकिन 250 किमी दूर अहमदाबाद भी जबर्दस्त तबाही का शिकार हुआ.

केवल 15 सेकंड में तबाह हो सकती है दिल्ली

भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से सीसमिक जोन-5 में आते हैं. जबकि उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्से, उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से और दिल्ली सीसमिक जोन-4 में आते हैं. बार-बार आ रहे भूकम्प के झटके इस बात के सबूत हैं कि किसी-न-किसी दिन दिल्ली को भयावह भूकम्प का सामना करना पड़ेगा. 6 से ज्यादा की तीव्रता वाले भूकम्प को दिल्ली झेल नहीं सकेगी और केवल 15 सेकंड भी भारी तबाही के लिये काफी हो सकते हैं.

क्यों आता है भूकंप?

पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही हैं. जहां ये प्लेट्स आपस में ज्यादा टकराती हैं उस जोन को फॉल्ट लाइन कहा जाता है.  बार-बार टकराने से प्लेट्स मुड़ती हैं और दबाव बनने से नीचे की ऊर्जा बाहर निकलती है जिससे पैदा होने वाले डिस्टर्बेंस से भूकंप आता है.

हर साल बढ़ रहा है हिमालय

जमीन के नीचे धरती की प्लेटें लगातार खिसक रही हैं. प्लेटों के मूवमेंट से सबसे बड़ा खतरा देश के उत्तर और उत्तर पूर्वी राज्यों को है. हिमालय की ऊंचाई हर साल लगातार 1 से 2 सेंटीमीटर तक बढ़ रही है. आईआईटी समेत देश के कई बड़े संस्थानों के भू-वैज्ञानिक हिमालय की सतह के नीचे हो रही इस बड़ी हलचल को आने वाले वक्त के लिए एक बड़ा खतरा बता चुके हैं. हिमाचल और कश्मीर में अगर कभी भी भूकंप आया तो वो भीषण होगा.