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आखिर कहां जाती हैं हॉस्पिटल्स की खून से लथपथ रुई, सिरिंज और ब्लेड!

इंसिनेरेटर के जरिए ऑपरेशन से निकले टिश्यू और वेस्ट बॉडी पार्ट्स भी बायो- मेडिकल वेस्ट के अंतर्गत आते हैं

Priyanka Singh

हॉस्पिटल से निकलने वाला हजारों टन बायो-मेडिकल वेस्ट कहां जाता है और इसका क्या होता है. दरअसल बायो-मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की प्रक्रिया अपने आप मे दिलचस्प और बहुत अलग है. अस्पतालों से निकलने वाली रुई, पट्टियों ब्लेड सिरिंज इत्यादि को सामान्य गार्बेज से अलग बायो-मेडिकल वेस्ट के तौर पर डिस्पोज किया जाता है. क्योंकि ये वेस्ट मेटिरियल सामान्य वेस्ट से खतरनाक माने जाते हैं.

सिर्फ राजधानी की बात करें तो यहां कुछ सालों पहले निकलने वाले बायो-मेडिकल वेस्ट में तेजी से इजाफा हुआ है. 2010 तक जहां राजधानी में रोजाना 10 टन बायो-मेडिकल वेस्ट निकलता था वहीं अब रोजाना 20 से 25 टन बायो-मेडिकल वेस्ट निकलता है. तेजी से बढ़ते इस खतरनाक बायो-मेडिकल वेस्ट को  प्रॉपर ढंग से डिस्पोज करने के लिए बाकायदा गाइड लाइन्स बनी हुई हैं.


एजेंसिया कलेक्ट करती हैं बायो-मेडिकल वेस्ट

राजधानी के पास 2 एजेंसियां हैं जो अस्पतालों से बायो मेडिकल वेस्ट को कलेक्ट करती हैं. SMS और बायोटिक नाम इन 2 एजेंसियों का काम दिल्ली के सभी रजिस्टर्ड अस्पतालों से वेस्ट कलेक्ट करना है. एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल्ली के अस्पतालों के हिसाब से 2 एजेंसियां बायो मेडिकल वेस्ट कलेक्ट करके उसे डिस्पोज करने के लिए पर्याप्त है. क्योंकि इन एजेंसियों के पास 4 विधि से अलग-अलग बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के पूरे उपकरण मौजूद हैं.

3 प्रकार का होता हैं बायो-मेडिकल वेस्ट

प्लास्टिक बायो-मेडिकल वेस्ट जिसमें सभी इंजेक्शन के खोल,दवाइयों के कवर, प्लास्टिक बोतलें इत्यादी आते हैं. शॉर्प्स बायो-मेडिकल जिसमे सभी धारदार चीजें जैसे सिरिंज, चाकू, ब्लेड, शीशे के टूटे-फूटे टुकड़े और नीडल्स इत्यादि आते हैं. ह्यूमन एनाटोमिकल वेस्ट जिसमें टिश्यू, और बॉडी पार्ट्स आते हैं.

प्लास्टिक की होती है ऑटोक्लेव रीसाइक्लिंग......

बायो- मेडिकल वेस्ट में जितना भी प्लास्टिक मेटिरियल होता है उसे पहले ऑटोक्लेव किया जाता हैं ताकि सभी तरह का इंफेक्शन खत्म हो जाए. ऑटोक्लेव एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें ऑटोक्लेव मशीन के जरिए किसी भी चीज को इंफेक्शन फ्री किया जाता है. आटोक्लेव के बाद प्लास्टिक को रिसायकल करके दूसरी प्लास्टिक की चीजें बनाई जाती हैं. ऑटोक्लेव का मकसद इस्तेमाल प्लास्टिक से हर तरह का वायरस और इंफेक्शन हटाना होता है ताकि रीसायकल प्लास्टिक में किसी तरह का कोई इन्फेक्शन न बचे.

शॉपर्स यानी ब्लेड्स , सिरिंज और दूसरे औजारों के लिए गहरे गड्ढे

ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले ब्लेड्स, सिरिंज, चाकू और दूसरे धारदार ओजारों को गहरे-गहरे गड्ढो में डाल कर दबा दिया जाता है. इन गहरे गड्ढो को बायो-मेडिकल पिट्स कहा जाता है. एक बार इस्तेमाल होने के बाद इन ओजारों को दोबारा किसी इस्तेमाल में लाना खतरनाक हो सकता है यही वजह है कि इन इस्तेमाल ओजारों को गहरे गड्ढो में दबा दिया जाता है.

इंसिनेरेटर से जलाए जाते हैं ह्यूमन एनाटोमिकल वेस्ट

इंसिनेरेटर के जरिए ऑपरेशन से निकले टिश्यू और वेस्ट बॉडी पार्ट्स भी बायो- मेडिकल वेस्ट के अंतर्गत आते हैं और इन वेस्ट मेटिरियल को बहुत हाई टैंपरेचर में इंसिनेरेटर के जरिए जला कर डिस्पोज किया जाता है ताकि इन इन्फेक्टेड बॉडी पार्ट्स की वजह से किसी तरह का कोई इन्फेक्शन पर्यावरण में न जाए.

केमिकल डिसइंफेक्शन से....

इस प्रक्रिया में केमिकल के जरिए इन्फेक्टेड रूई, पट्टियों और सिरिंज इत्यादि से इंफेक्शन दूर करके रिसायकल के लिए  भेजा जाता है. ताकि रिसायकल प्रोडक्ट एकदम फ्रेश रहे और इसके जरिए कोई इंफेक्शन न हो सके.