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न्यूज चैनलों को हनीप्रीत के नाम पर 'गंद फैलाना' बंद कर देना चाहिए

टीवी वालों को पता है कि बाबा के प्रति उभरे गुस्से को हनीप्रीत का 'चीरहरण' करके भुनाया जा सकता है, इसलिए वो इस मामले को ताजा बनाए रखना चाहते हैं

Tulika Kushwaha

आजकल देश में पुलिस, सीबीआई, इंटेलीजेंस ब्यूरो और रॉ के अलावा कुछ दूसरी खुफिया एजेंसियां भी काम कर रही हैं. ये एजेंसियां हर मुद्दे में चार एंगल ढूंढती हैं, खुफिया जानकारी निकालती हैं और स्टिंग ऑपरेशन करती हैं.

एक के बाद एक शो बनाकर ये एजेंसियां किसी भी मुद्दे के नतीजे पर पहुंचने के लिए बेताब होती हैं लेकिन कभी कोई निचोड़ नहीं निकलता क्योंकि ये उनका इरादा भी नहीं है.


ये एजेंसियां पहले पत्रकारिता करती थीं, अब वायरल झूठ के पीछे का सच ढूंढती हैं, देश में नागों, भूतों, तांत्रिकों के ऊपर रिसर्च में पैसे फूंकती हैं, चोटीकटवा पर शो बनाती हैं और अगर कहीं कोई अप्रिय घटना हो गई, किसी नेता ने उल्टा-पुल्टा बोल दिया तो हैशटैग चलाती हैं.

क्राइम इन्वेस्टीगेशन का धंधा

लेकिन इन्हें सबसे ज्यादा पसंद है क्राइम इन्वेस्टीगेशन. खासकर किसी नेता, बाबा या सेलेब्रिटी का सेक्स स्कैंडल हो तो इनकी टीआरपी के वारे-न्यारे हो जाते हैं. फिर इनका इन्वेस्टीगेशन किसी सेक्स सीडी पर ही जाकर खत्म होता है.

पिछले दिनों भक्तों के स्वयंभू भगवान बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह ने अपनी फिल्मी जिंदगी का क्लाइमेक्स जेल में जाकर देखा. उम्मीद है कि फिल्म खत्म हो गई है, क्योंकि बाबा ने पूरी फिल्म में जितने एक्शन किए हैं, उनका मजमून निकले, तो अब वो कभी बाहर आने से रहा. बाबा के एक-एक मूवमेंट पर कैमरे गड़ाए इन स्पेशल खुफिया एजेंसियों ने बाबा के जेल जाने के बाद एक और सोने का अंडा देने वाली मुर्गी ढूंढ ली है.

टीआरपी के खेल में फंसी हनीप्रीत

बाबा की बेहद करीबी मानी जाने वाली हनीप्रीत इंसा आजकल न्यूज चैनलों की टीआरपी का सहारा बनी हुई है. इन एजेंसियों यानी न्यूज चैनलों की टीआरपी के पीछे पागल प्रोड्यूसरों, एडिटरों और मैनेजरों को पता है कि कौन नंबर लाएगा कौन नहीं.

हनीप्रीत के अंदर उन्हें अपना उज्जवल हफ्ता दिखाई दे रहा है. हर रोज ये एजेंसियां हनीप्रीत के ऊपर दो-चार शो बनाकर असली न्यूज के लिए टकटकी लगाए दर्शकों के मुंह पर दे मारती हैं. और चूंकि सारी एजेंसियां यही कर रही हैं, तो न दर्शकों के पास कोई रास्ता है न शो का आइडिया ढूंढ रहे, पैकेज लिख रहे 'प्रोड्यूसरों' के पास.

हनीप्रीत पर आते हैं. न्यूज चैनलों ने ये पता लगाने के लिए हनीप्रीत कहां है, अपने अंदर के खोजी पत्रकार के गुण को बिल्कुल निचोड़ लिया है लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा क्योंकि वो काम पुलिस का है.

हार्ड डिस्क से सेक्स सीडी तक का खेल

लेकिन हर रोज के लिए इसी बात पर तो पैकेज नहीं बन सकता न कि हनीप्रीत कहां भाग गई, इसलिए और भी बहुत कुछ पता लगाने की कोशिश की जा रही है. मसलन, हनीप्रीत बाबा के कितने करीब है या डेरे में चल रहे गलत कामों में हनीप्रीत की कितनी हिस्सेदारी थी. एक बड़ी न्यूज वेबसाइट ने ये भी पता लगाने की कोशिश की कि क्या हनीप्रीत ही बाबा की लव चार्जर है?

एक न्यूज चैनल ने तो नाट्य रूपांतरण करके डेरे के अंदर चलने वाले माफीनामे यानी बाबा की रासलीला की दो पार्ट में फिल्म ही बना दी. हनीप्रीत का बाबा से क्या संबंध था? हनीप्रीत की अपनी शादी क्यों सफल नहीं रही? हनीप्रीत बाबा के इतने करीब क्यों थी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो न्यूज चैनलों ने बनाए हैं और इसके जवाब ढूंढने में उन्हें बहुत मजा आ रहा है. उन्हें कभी हनीप्रीत हरियाणा में दिखाई देती है, कभी राजस्थान में तो कभी नेपाल में. अब तो बिहार में हनीप्रीत के मोस्ट वांटेड के पोस्टर भी लग चुके हैं.

क्यों हो रही है छीछालेदर?

लेकिन क्या आपको याद है कभी किसी बड़े अपराधी के किसी करीबी पर टीवी ने इतना ध्यान दिया है? न्यूज चैनलों को हनीप्रीत पर इन्वेस्टीगेशन करने में इतना मजा क्यों आ रहा है? सीधी-सीधी बात है अगर यही बाबा रेप के मामले में अंदर नहीं गया होता और डेरे में गुफा के अंदर बाबा के रासलीला की खबरें नहीं आतीं, तो हनीप्रीत कभी इनके निशाने पर नहीं होती. बाबा की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत सुंदर है, बाबा की फिल्मों को डायरेक्ट किया है, उनमें रोल किए हैं और हर फंक्शन में बाबा के साथ खड़ी रही है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो बाबा जितनी दोषी हो गई और टीवी वालों को उसके नाम पर रोज छीछालेदर मचाने का अधिकार मिल गया.

अगर वो अपराधी है भी तो भी टीवी पर उसका नाम रटते रहने से उसे सजा नहीं मिल जाएगी. टीवी ये तय नहीं करता कि कौन अपराधी है कौन नहीं. ये काम पुलिस के जिम्मे रहने दीजिए. और वैसे भी पुलिस ने अब तक इस मुद्दे पर कहा क्या है? क्या पुलिस ने कह दिया है कि हनीप्रीत के बाबा से अवैध संबंध थे? या वो बाबा के साथ डेरे में सेक्स रैकेट चलाती थी? क्या पुलिस ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि हनीप्रीत गंभीर अपराध करके भाग रही है या पुलिस ने हनीप्रीत के खिलाफ चार्जशीट फाइल कर ली है? फिर आप किस बात पर बेचैन हुए जा रहे हैं?

लगता है ये चैनल भूल गए हैं कि बाबा जब अपनी फिल्मों का प्रमोशन करता था, तो यही लोग हाथ जोड़-जोड़कर उसे अपने चैनल पर बुलाते थे. इन्हीं की उस बाबा और हनीप्रीत के सामने चूं-चपड़ करने की हिम्मत नहीं होती थी.

बंद करिए जासूसी

टीवी वालों को पता है कि बाबा के प्रति उभरे गुस्से को हनीप्रीत का 'चीरहरण' करके भुनाया जा सकता है, इसलिए वो इस मामले को ताजा बनाए रखना चाहते हैं. उनकी सेक्स सीडी की तलाश वैसे भी हार्ड डिस्क तक पहुंच चुकी है, हो सकता है सेक्स सीडी तक भी पहुंच जाए. दिलचस्प और जरूरी सवाल ये है कि अगर यही हनीप्रीत एक बदसूरत औरत होती, तो ये न्यूज चैनल कितने शो बनाते?

मत भूलिए, आप एक ऐसी औरत के नाम पर न्यूज चलाने का धंधा कर रहे हैं, जिसपर पुलिस अभी तक कोई आपराधिक केस नहीं दर्ज कर पाई है. केस तो छोड़िए, हनीप्रीत तो पुलिस के हाथ ही नहीं लगी है अभी. पुलिस इस मामले में कितनी तेज है, सब दिख रहा है. लेकिन आपको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. हनीप्रीत के नाम पर न्यूज चैनल जो कुछ भी कर रहे हैं वो सरासर बदतमीजी है. जासूस बनना बंद कर दीजिए, पुलिस को उसका काम करने दीजिए.

न्यूज चैनलों में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं दिखती. हो सकता है स्थितियां और बिगड़े हीं. लेकिन यही हाल रहा तो वो वक्त भी आएगा, जब या तो ये न्यूज चैनल खुद को ही बचाने का केस लड़ रहे होंगे या इन्हें ये बात समझ लेनी होगी कि ये न्यूज चैनल हैं न कि खुफिया एजेंसी.