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धारा 377 पर SC के फैसले से सहमत, लेकिन समलैंगिक विवाह का समर्थन नहीं: RSS

सरकार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस विषय की संवदेनशीलता के मद्देनजर ‘ऑफ द रिकार्ड’ इन सारी बातों को साझा किया है

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता को अपराध नहीं करार देने वाले फैसले पर आरएसएस ने सावधानीपूर्वक प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए गुरुवार को कहा कि वह फैसले से सहमत है लेकिन 'समलैंगिक विवाह के खिलाफ' है.

वहीं सरकार ने भी यही विचार साझा करते हुए कहा है कि वह इस तरह के विवाह को कानूनी रूप देने के समर्थन में नहीं है और वह ऐसे किसी भी कदम को चुनौती देगा.


सरकार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस विषय की संवदेनशीलता के मद्देनजर ‘ऑफ द रिकार्ड’ इन सारी बातों को साझा किया है. यह बात किसी से नहीं छुपी कि रूढ़ीवादी हिंदुओं को सत्तारूढ़ बीजेपी के मजबूत समर्थक के तौर पर देखा जाता है.

समलैंगिक विवाह और ऐसे संबंध 'प्रकृति के अनुकूल' नहीं

उन्होंने कहा कि दो समलैंगिक वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए जाने वाला यौन संबंध ठीक है लेकिन सरकार उनके बीच विवाह को कानूनी रूप देने की किसी भी मांग का विरोध करेगी.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह फैसला समलैंगिक विवाहों को कानूनी मंजूरी देने की मांग का मार्ग प्रशस्त करेगा, उन्होंने कहा कि देश इस मुद्दे पर अत्यधिक बंटा हुआ है और इस विषय पर पूरी दुनिया में व्यापक चर्चा चल रही है.

उन्होंने कहा कि यहां तक कि अमेरिका में कुछ राज्यों को छोड़ कर समलैंगिक विवाह वैध नहीं है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी सरकार के समान विचार साझा किया है. संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने एक बयान में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तरह हम भी इसे अपराध नहीं मानते.'

बहरहाल, उन्होंने संघ के पुराने रुख को दोहराते हुए कहा कि समलैंगिक विवाह और ऐसे संबंध 'प्रकृति के अनुकूल' नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'ये संबंध प्राकृतिक नहीं होते, इसलिए हम इस तरह के संबंध का समर्थन नहीं करते.'

संघ हमेशा से समलैंगिकता को 'अप्राकृतिक' कहता आया है

कुमार ने दावा किया कि भारतीय समाज 'पारंपरिक तौर पर ऐसे संबंधों को मान्यता नहीं देता है.' मानव आमतौर पर अनुभवों से सीखता है, इसलिए इस विषय पर सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तर पर चर्चा करने तथा इसका समाधान करने की जरूरत है.

गौरतलब है कि संघ परंपरागत रूप से समलैंगिकता के खिलाफ रहा है और इसे 'अप्राकृतिक' कहता रहा है लेकिन 2016 में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबोले ने यह कह कर एक विवाद छेड़ दिया था कि किसी की यौन प्राथमिकता अपराध नहीं हो सकती.

हालांकि, सरकार के पदाधिकारी ने इस बात का जिक्र किया है कि उन्होंने इस मुद्दे पर फैसला उच्चतम न्यायालय के ऊपर छोड़ दिया था. बीजेपी नेताओं ने कहा है कि वे शीर्ष न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन 'ऑन रिकार्ड' नहीं बोलेंगे.

वहीं, पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुब्रहमण्यम स्वामी ने दावा किया कि समलैंगिकता एक आनुवांशिक दोष है. स्वामी ने कहा, 'यह समाज में - राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से आपकी स्थिति को प्रभावित नहीं करता है. समलैंगिकों के बीच संबंध को अपराध नहीं करार नहीं दिया जा सकता क्योंकि यह प्राइवेट रूप से किया जाता है.'