view all

हिंदुत्व केस: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, धर्म व जाति के आधार पर वोट नहीं मांग सकते

इसे 'हिंदुत्व मामले' का नाम भी दिया गया था क्योंकि तर्क दिया गया था कि हिंदुत्व धर्म नहीं जीवन शैली है.

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी धर्म, जाति या भाषा के आधार पर वोट नहीं मांगा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे चुनाव प्रचार को 'भ्रष्ट आचरण' में गिना जाएगा और ऐसा करने वालों पर कार्रवाई हो सकती है.

इससे पहले इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा था. चुनाव में धर्म के दुरुपयोग को कैसे रोका जाए, इस मामले में दो हफ्ते तक सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनवाई की.


7 जजों की बेंच ने इस मामले में इस सवाल पर चर्चा की कि अगर किसी प्रत्याशी, उसके एजेंट या फिर पार्टी और उसके किसी दूसरे धर्म के समर्थक ने धर्म के आधार पर वोट मांगा हो तो क्या किसी चुनाव को रद्द किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि धर्म मानने का अधिकार संविधान देता है लेकिन धर्म के आधार पर वोट मांगने का नहीं.

इस मामले को 'हिंदुत्व मामला' का नाम भी दिया गया था क्योंकि इसके तहत यह तर्क दिया गया था कि हिंदुत्व धर्म नहीं जीवन शैली है और इसके आधार पर वोट मांगना गलत नहीं है. हालांकि साच बेंचों की संवैधानिक पीठ ने साफ किया था कि वह 'जीवनशैली या धर्म' के सवाल पर विचार नहीं कर रही है.