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अध्यापकों को आतंकित करना बहुत ही चौंकाने वाला कृत्य: दिल्ली हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा 'ऐसे संस्थानों को विद्यालय कहना और ऐसे व्यक्तियों को छात्र के तौर पर संबोधित करना 'अभिशाप' है'

Bhasha

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अध्यापकों को 'आतंकित करना' बहुत ही 'चौंकाने वाला' कृत्य है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. कोर्ट को बताया गया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने पर एक महिला प्राध्यापक को धमकी दी थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह बात कही है.

घटना पर गुस्सा जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की एक पीठ ने कहा कि ऐसे संस्थानों को विद्यालय कहना और ऐसे व्यक्तियों को छात्र के तौर पर संबोधित करना 'अभिशाप' है.


पीठ ने कहा, 'शिक्षकों को आतंकित करने की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती. यह स्तब्ध करने वाला है. उन्हें विद्यालय कहना और ऐसे छात्रों को छात्र कहना अभिशाप होगा.' कोर्ट की ओर से यह सख्त टिप्पणियां तब की गईं जब उसे बताया गया कि दिल्ली विश्विद्यालय से एलएलबी कर रहे डूसू के पूर्व अध्यक्ष सतेंद्र अवाना ने एक महिला प्राध्यापक को धमकाया था जिन्होंने इस साल के मई-जून महीने की सेमेस्टर परीक्षा के दौरान उसे नकल करते हुए पकड़ा था.

इसके अलावा, अवाना पर इस कथित मामले की जांच कर रही विश्वविद्यालय की ‘अनुचित साधन निर्णायक समिति’ के सदस्यों को भी कथित रूप से डराने-धमकाने की कोशिश करने का भी आरोप है.

कोर्ट का ध्यान इस घटना पर वरिष्ठ वकील एन हरिहरण द्वारा खींचा गया जिन्हें पीठ ने भारत में कानूनी शिक्षा के मानकों से जुड़े मामलों में न्यायमित्र नियुक्त किया था. कोर्ट ने उन्हें छात्र के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग करते हुए एक अपील दायर करने को कहा था.

एक अधिवक्ता और डीयू के विधि विभाग के एक पूर्व प्राध्यापक एस एन सिंह द्वारा दायर मुख्य याचिका को 26 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया.

इसके अलावा कोर्ट पहले ही एक अन्य मामले में लॉ फैकल्टी की वाइस प्रेसिडेंट वेद कुमारी को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दे चुकी है. उन्हें, अवाना सहित कुछ छात्रों ने उपस्थिति कम होने के चलते एलएलबी की सेमेस्टर परीक्षा न देने दिए जाने के संबंध में धमकी दी थी.