यमुना नदी पर बन रहे सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में हो रही देरी पर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल पूछा कि यह परियोजना कब पूरी होगी ?
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की विभिन्न एजेंसियों को नोटिस जारी किया. न्यायालय ने पूछा कि जिस दिन इस परियोजना को शुरू किया गया था तब से लेकर अब तक इसकी लागत में कितना अंतर आया.
पीठ ने पूर्वोत्तर दिल्ली में वजीराबाद पुल का दो हफ्ते में ढांचागत और तकनीकी ऑडिट कराने का भी आदेश दिया. दिल्ली को उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले इस पुल का इस्तेमाल फिलहाल लोग आने-जाने के लिए करते हैं.
बढ़ गई पुल की लागत
2004 में घोषित इस परियोजना को 2007 में दिल्ली सरकार की मंजूरी मिली थी और इसे अक्तूबर 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों से पहले 1,131 करोड़ की लागत से पूरा किए जाने की उम्मीद थी.
वर्ष 2015 में इसकी शुरुआती लागत बढ़कर 1594 करोड़ रूपए हो गई. बताया जाता है कि सबसे पहले 1997 में इस पुल का प्रस्ताव रखा गया था और तब इसकी शुरुआती लागत 464 करोड़ रूपए आंकी गयी थी. अदालत ने इस मामले में अब 29 नवंबर को आगे सुनवाई करेगी.