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हवाईअड्डों में शराब की बिक्री बंद करने वाली याचिका हाईकोर्ट ने ठुकराई

अदालत ने कहा कि जिस राहत की मांग की गई है वह इस तरह है जैसे कि किसी को चीनी देने से इसलिए इनकार करना

Bhasha


दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय हवाई अड्डों के डोमेस्टिक टर्मिनल्स के प्रस्थान क्षेत्र में शराब की बिक्री किए जाने पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह अमल योग्य नहीं है.

एक गैर लाभकारी कंपनी की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया था कि शराब पीने या उसे परोसने पर रोक लगाने वाले नियम यात्रियों के विमान में सवार होने के वक्त उनके शराब के नशे में होने से रोकने के लिए हैं और यात्रियों के गलत बर्ताव से विमान की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति पीएस तेजी की पीठ ने हालांकि याचिका पर सुनवाई से यह कहते हुए इनकार किया कि याचिकाकर्ता की ओर से की गई मांग अमल योग्य नहीं है.

अदालत ने कहा कि जिस राहत की मांग की गई है वह इस तरह है जैसे कि किसी को चीनी देने से इसलिए इनकार करना कि इससे उसे मधुमेह हो सकता है. इसी प्रकार याचिका यह मान कर दायर की गई है कि प्रत्येक व्यक्ति जिसके भी पास शराब है वह पिए हुए है.

अदालत ने यह भी कहा कि इस बात पर नियंत्रण करना ‘बेहद मुश्किल’ है कि कोई यात्री हवाईअड्डे में प्रवेश से पहले अथवा सुरक्षा जांच से गुजरने के बाद क्या पीता है.

कोर्ट ने कहा कि याचिका में दम नहीं 

पीठ ने कहा, ‘याचिका में कोई दम नहीं है. इसे खारिज किया जाता है.’ गैर लाभकारी कंपनी ‘इंडिया अवेक फॉर ट्रांस्पेरेंसी’ ने याचिका में कहा था कि अगर यात्रियों को हवाई अड्डा टर्मिनल के बार अथवा शराब के आउटलेट्स से शराब पीने या खरीदने के लिए छूट है तो घरेलू उड़ानों में शराब परोसने पर रोक का कोई औचित्य नहीं है.

याचिका में कहा गया है कि उड्डयन नियमों के अनुसार घरेलू उड़ानों में यह रोक यात्रियों के उपद्रवी बर्ताव को रोकने के लिए है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दमानिया एयरलाइन्स ने अपनी घरेलू उड़ानों में शराब परोसना शुरू किया जिसके बाद कोई अप्रिय घटना घटी और इसके बाद घरेलू उड़ानों में शराब परोसने पर रोक लगा दी गई थी. सरकार ने उस वक्त कहा था कि इस तरह की घटनाएं विमानों और यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं.