view all

हाईकोर्ट ने पीआरपी एक्सपोर्ट्स के ग्रेनाइट ब्लॉक नीलामी संबंधी याचिका खारिज की

बैंक ने तर्क दिया था कि यदि सामानों को खुले धूप-पानी में रहने दिया गया तो वे खराब हो जाएंगे जिससे अंतत: सरकारी खजाने को नुकसान होगा

Bhasha

मद्रास हाईकोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मदुरई की एक कंपनी के ग्रेनाइटब्लॉक की सार्वजनिक नीलामी करने की मंजूरी मांगी गई थी. पीआरपी एक्सपोर्ट्स ने ऋण के बदले में अपने ग्रेनाइट ब्लाक को बैंक के पास गारंटी के तौर पर रखा था.

न्यायमूर्ति टी. एस. शिवगनानम और न्यायमूर्ति जी. जयचंद्रन की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, इस बिक्री को मंजूरी नहीं दी जा सकती क्योंकि कंपनी के खिलाफ 52 आपराधिक मामलों की जांच कर रही विभिन्न एजेंसियां पहले ही 132 करोड़ रुपए का ग्रेनाइट जब्त कर चुकी हैं.


बैंक ने कहा था किउसके पास रखी गारंटी के सामानों में ग्रेनाइट खंड, ग्रेनाइट के स्लैब, तैयार माल एवं अन्य शामिल हैं जिनकी पहचानकी जा सकती है और मूल्यांकन किया जा सकता है. उसने कहा कि इन संपत्तियों की फोटोग्राफी की जा सकती है और कंपनीको दिये गये ऋण को वसूला जा सकता है.

बैंक ने तर्क दिया था कि यदि सामानों को खुले धूप-पानी में रहने दिया गया तो वे खराब हो जाएंगे जिससे अंतत: सरकारी खजाने को नुकसान होगा.

इसके उत्तर में अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि पीआरपी एक्सपोर्ट्स एवं इससे जुड़े लोगों के खिलाफ मदुरई में 52 मामले दर्ज हुए हैं. इनकी जांच के दौरान जांच अधिकारी ने पहले ग्रेनाइट खंड को जब्त कर लिया है जो अभी संबंधित आपराधिक अदालतों के संरक्षण में हैं.

उन्होंने कहा, 'अत: बैंक का इन संपत्तियों पर कोई अधिकार नहीं है और न ही वे खुद को गारंटीयुक्त कर्जदाता होने का दावा कर सकते हैं क्योंकि गारंटी के तौर पर रखे गये सामान विभिन्न आपराधिक जांच से जुड़े हैं.' दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने बैंक की याचिका खारिज कर दी.