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भीमा-कोरेगांव हिंसा मामला: कार्यकर्ताओं की नजरबंदी बढ़ी, अगली सुनवाई 19 सितंबर को

केंद्र सरकार ने रोमिला थापर की याचिका का विरोध किया है

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट में पांचों सोशल एक्टिविस्ट के खिलाफ मामले में सुनवाई शुरू कर दी है. केंद्र सरकार ने रोमिला थापर की याचिका का विरोध किया है. महाराष्ट्र सरकार भीमा कोरेगांव मामले में SIT का विरोध कर रही है. अब इस मामले में केंद्र सरकार ने भी दखल दे दिया है. पेश है सुनवाई के अहम अंश:

#BhimaKoregaon case- सुप्रीम कोर्ट ने पांचों कार्यकर्ताओं की नजरबंदी बढ़ा दी है. इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार 19 सितंबर को होगी.


#BhimaKoregaon case-अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोई भी आरोपी यलगार परिषद के कार्यक्रम में मौजूद नहीं था. यहां तक कि एफआईआर में पांचों आरोपियों में से किसी का नाम नहीं है.

#BhimaKoregaon case-अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वरवरा राव के खिलाफ 25 केस थे और इन सभी मामलों में वह बरी हो गए हैं. वरनॉन गोंजाल्विस 18 मामलों में आरोपी थे और 17 मामलों में वह बरी हो गए हैं. जबकि अरुण फरेरा को सभी 11 मामलों में बरी कर दिया गया है.

#BhimaKoregaon case-सोशल कार्यकर्ताओं की पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें SIT का गठन हुआ है या फिर कोर्ट की निगरानी में केस की जांच हुई है.

#BhimaKoregaon case-सोशल कार्यकर्ताओं की पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में पेपर जमा करते हुए कहा कि इस मामले की जांच स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन करना चाहिए या कम से कम इस मामले की निगरानी करने के लिए एक कोर्ट होना चाहिए.

#BhimaKoregaon case- महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर लॉयर तुषार मेहता ने कहा है कि गिरफ्तार किए गए लोगों को न सिर्फ इस मामले में शामिल होने की वजह से गिरफ्तार किया गया है बल्कि यह भी पाया गया है कि वह देश की शांति भंग करना चाहते हैं.

#BhimaKoregaon case- महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर लॉयर तुषार मेहता ने रोमिला थापर की याचिका का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि जिसने यह याचिका दायर की है उसका इस केस से ना कोई लेनादेना है और ना ही कोई आइडिया. मेहता ने यह भी कहा कि आरोपियों से कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो गलत हैं.

पुलिस ने 28 अगस्त को वरवरा राव, वरनॉन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था. इन पांचों एक्टिविस्ट पर आरोप था कि इन्होंने यलगार परिषद में उत्तेजक भाषण दिया जिसकी वजह से भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की.

फिलहाल पांचों एक्टिविस्ट नजरबंद हैं. नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी के कहीं और बिजी होने की वजह से 12 सितंबर को इस मामले की सुनवाई टाल दी गई थी. इस मामले में इतिहासकार रोमिला थापर ने एक याचिका दायर की थी जिसका सरकार विरोध कर  रही है.