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हाशिमपुरा दंगा केस: तीस हजारी कोर्ट में यूपी पीएसी के चार जवानों ने किया सरेंडर

दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर को इस मामले में 42 लोगों की हत्या के जुर्म में 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी

FP Staff

मेरठ के हा‍शिमपुरा दंगा मामले में यूपी पीएसी (Uttar Pradesh Provincial Armed Constabulary) के चार जवानों ने दिल्‍ली के तीस हजारी कोर्ट में गुरुवार को आत्‍मसमर्पण कर दिया.  ये चार जवान निरंजन लाल, महेश, समीउल्ला, जैपाल हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर को इस मामले में 42 लोगों की हत्या के जुर्म में 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

इन चारों आरोपियों को तिहाड़ जेल भेजा जाएगा. कोर्ट ने बाकी के आरोपी जवानों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है.


बता दें कि 31 अक्टूबर को दिल्ली की हाईकोर्ट ने मेरठ के हाशिमपुरा दंगा मामले में पीएसी के 16 जवानों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इनमें से एक जवान की पहले ही मौत हो चुकी है. लिहाजा 15 जवानों को 22 नवंबर तक कोर्ट में सरेंडर करना था. लेकिन इनमें से चार ही जवान कोर्ट पहुंचे हैं.

क्या है हाशिमपुरा नरसंहार मामला?

1986 में केंद्र सरकार ने बाबरी मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया था. इसके बाद वेस्ट यूपी में माहौल गरमा गया. 14 अप्रैल 1987 से मेरठ में धार्मिक उन्माद शुरू हो गया. कई लोगों की हत्या हुई, तो दुकानों और घरों को आग के हवाले कर दिया गया था. हत्या, आगजनी और लूट की वारदातें होने लगीं.

इसके बाद भी मेरठ में दंगे की चिंगारी शांत नहीं हुई थी. इन सबको देखते हुए मई के महीने में मेरठ शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा और शहर में सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला. इसी बीच 22 मई 1987 को पुलिस, पीएसी और मिलिट्री ने हाशिमपुरा मोहल्ले में सर्च अभियान चलाया.

आरोप है कि जवानों ने यहां रहने वाले किशोरों, युवकों और बुजुर्गों सहित कई 100 लोगों को ट्रकों में भरकर पुलिस लाइन ले गए. शाम के वक्त पीएसी के जवानों ने एक ट्रक को दिल्ली रोड पर मुरादनगर गंग नहर पर ले गए थे. उस ट्रक में करीब 50 लोग थे. वहां ट्रक से उतारकर जवानों ने एक-एक करके लोगों को गोली मारकर गंग नहर में फेंक दिया. इस घटना में करीब 8 लोग सकुशल बच गए थे, जिन्होंने बाद में थाने पहुंचकर इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.