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बीजेपी के 15 साल के राज में मध्य प्रदेश बना 'मजदूर प्रदेश'!

राज्य श्रम विभाग के जारी आंकड़ों के अनुसार एमपी की साढ़े 7 करोड़ आबादी में मजदूरों की संख्या तकरीबन 2 करोड़ है. इस लिहाज से देखें तो राज्य का हर चौथा शख्स मजदूर है

FP Staff

क्या बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में एक चौथाई आबादी मजदूरी करती है. यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि श्रमिक कल्याण योजना के क्रियान्वन की समीक्षा बैठक में इस बारे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश की साढ़े 7 करोड़ आबादी में मजदूरों की संख्या तकरीबन 2 करोड़ है. इस लिहाज से देखें तो राज्य का हर चौथा शख्स मजदूर है.


मध्य प्रदेश सरकार ने असंगठित श्रमिकों की आर्थिक असुरक्षा दूर करने, इनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, परिवार के स्वास्थ्य के लिए मुख्यमंत्री असंगठित मजदूर कल्याण योजना शुरू की है. इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है लेकिन मजदूरी करने वाले बहुत से लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

1 अप्रैल से शुरू होकर 7 अप्रैल तक आवेदन की अंतिम तारीख तक लगभग 2 करोड़ लोगों ने मजदूर के रूप में अपना नाम दर्ज कराया है. यानी प्रदेश के हर 4 में से एक व्यक्ति मजदूर है.

राज्य के श्रम मंत्री बालकृष्ण पाटीदार ने इस बारे में पूछने पर कहा, 'सूची की जांच (स्क्रूटनी) होगी. जो लोग इनकम टैक्स देते हैं, जिनको पेंशन की पात्रता है, ढाई एकड़ के किसान हैं, उनके नाम इसमें से हटाए जाएंगे. यह योजना केवल उनके लिए है जिनको कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता है.'

वहीं कांग्रेस को लगता है कि चुनावी वर्ष में जारी किए गए यह आंकड़े बड़े घोटाले का इशारा करते हैं. पार्टी की राज्य इकाई के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा, '1 मई को मजदूर दिवस है. क्या सरकार उस दिन 2 करोड़ मजदूरों की फौज इकट्ठा कर पाएगी. फर्जी नाम से विधवा, विकलांगों की पेंशन खाई गई है, वैसा ही मजदूरों के नाम पर बड़ा घोटाला हो रहा है.'

मध्य प्रदेश में वर्ष 2003 से बीजेपी सत्ता में है. बीजेपी के शासनकाल के दौरान प्रदेश महिलाओं पर अपराध, कुपोषण से मौत में अव्वल रहा रहा है. अब साढ़े 7 करोड़ की आबादी में 2 करोड़ लोगों ने मजदूर के रूप में आवेदन दिया है. खास बात है कि यह सब उस राज्य में हुआ है जिसका नाम मनरेगा के तहत सबसे कम मजदूरी देने वाले राज्यों में शामिल है.