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गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश

अस्पताल पर लगे आरोपों की एक सरकारी समिति ने जांच की थी जिसके बाद अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता राष्ट्रीय प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष को इस बारे में एक पत्र भेजा गया

Bhasha

हरियाणा सरकार ने फोर्टिस मेमोरियल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफएमआरआई) अस्पताल की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की है. गुड़गांव स्थित इस अस्पताल में पिछले दिनों डेंगू से पीड़ित 7 साल की एक बच्ची आद्या सिंह की इलाज में कथित लापरवाही के चलते मौत हो गई थी. आद्या के परिवार ने आरोप लगाया था कि अस्पताल ने उन्हें इलाज का बहुत बड़ा बिल थमाया था.


अस्पताल पर लगे आरोपों की एक सरकारी समिति ने जांच की थी जिसके बाद अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता राष्ट्रीय प्रमाणन बोर्ड (एनएबीएचएचपी या नेशनल एक्रीडिशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स) के अध्यक्ष को इस बारे में एक पत्र भेजा गया.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वैकल्पिक इंतजाम किए बगैर आद्या सिंह को वेंटिलेटर से हटा दिया गया. बच्ची की हालत बहुत गंभीर थी फिर भी उसे सामान्य एंबुलेंस में भेजा गया.

राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक प्रमाणन संस्था के अध्यक्ष को यह पत्र हरियाणा के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (डीजीएचएस) की ओर से 9 दिसंबर को भेजा गया.

समिति ने यह भी पाया कि अस्पताल ने महंगी दवाओं का इस्तेमाल कर के भारी भरकम बिल दिया.

शालीमार बाग का मैक्स अस्पताल-गुड़गांव का फोर्टिस अस्पताल

आवंटन के नियम-शर्तों का उल्लंघन किया है इसलिए जमीन की लीज रद्द हो

पत्र में लिखा गया कि ‘अस्पताल आद्या के इलाज में महंगी एलोपैथी दवाओं की जगह जेनेरिक दवाओं का प्रयोग कर सकता था’. इसके अलावा डीजीएचएस ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) को भी पत्र भेजा है और कहा है कि चूंकि अस्पताल ने आवंटन के नियम-शर्तों का उल्लंघन किया है इसलिए उसकी जमीन की लीज रद्द कर दी जाए.

हुडा के प्रशासक यशपाल यादव ने कहा कि अस्पताल की लीज रद्द करने के लिए हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के पत्र की उन्हें कोई आधिकारिक कॉपी नहीं मिली है. उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से कोई आदेश प्राप्त होने पर हम उसी के मुताबिक कदम उठाएंगे.’

पिछले हफ्ते दिल्ली सरकार ने शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया था. अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा था जिसमें उसके डॉक्टरों ने एक जिंदा नवजात को मरा हुआ बताकर उसे उसके परिजनों को सौंप दिया था.