गुवाहाटी में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में करीब 70 संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. ये सभी संगठन जनता भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2016 में नागरिकता बिल में संशोधन कर दिया था. छह दशक पुराने नागरिकता अधिनियम में संशोधन के लिए लाए गए विवादास्पद विधेयक पर शीतकालीन सत्र में संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है. संयुक्त संसदीय समिति इस विवादित विधेयक की जांच कर रही है. इस विधेयक का असम एवं पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में जोरदार विरोध हो रहा है. असम में इससे पहले 46 संगठन इसे लेकर बंद और विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं.
पूर्वोत्तर में बड़े पैमाने पर आम लोग और 70 संगठन इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे 1985 के असम समझौते के प्रावधान निष्प्रभावी हो जाएंगे. असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के खिलाफ केएमएसएस और एजेवाईसीपी के असम सचिवालय का घेराव करने से पहले गुवाहाटी शहर के तीन पुलिस जिलों में बीते गुरुवार को तत्काल प्रभाव से धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. पुलिस ने बताया कि पूर्वी, पश्चिम और मध्यवर्ती इलाकों में अगले आदेश तक निषेधाज्ञा लागू रहेगी.
क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक में-
लोकसभा में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन के लिए नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 पेश किया गया था. अन्य बातों के अलावा संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान करना शामिल है. ऐसे लोगों को 12 साल की जगह 6 वर्ष भारत में रहने के आधार पर नागरिकता दी जाएगी. भले ही ऐसे लोगों के पास कोई उचित दस्तावेज हो या नहीं.