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आधार नहीं तो अस्पताल ने भर्ती से किया मना, बच्चे को फर्श पर दिया जन्म

इस मामले की जानकारी मिलते ही सीएमओ डॉ. बीके राजौरा ने स्टाफ नर्स और डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया है

FP Staff

हरियाणा के गुरुग्राम में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला एक मामला सामने आया है. यहां एक सिविल अस्पताल ने एक महिला को सिर्फ इसलिए भर्ती नहीं किया क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं था. अस्पताल के मना करने के बाद गर्भवती महिला ने इमरजेंसी वार्ड के बाहर ही बच्चे को जन्म दिया.

इस मामले की जानकारी मिलते ही चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) डॉ. बीके राजौरा ने स्टाफ नर्स और डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया है.


मुन्नी देवी नाम की इस महिला की उम्र 25 साल है. महिला के पति ने बताया कि शुक्रवार की सुबह महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. महिला को कैजुअल्टी वार्ड में लेकर गए, लेकिन हमें वहां लेबर वार्ड में लेकर जाने को कहा गया.

महिला के पति ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा कि आधार की हार्ड कॉपी लेकर आइए. आधार कार्ड रहने पर ही अस्पताल में भर्ती किया जाएगा. उन्होंने बताया कि रिश्तेदारों को वहां छोड़ कर मैं आधार का प्रिंट आउट लाने चला गया.

महिला के रिश्तेदार जब उन्हें दोबारा कैजुअल्टी वार्ड में लेकर गए तब भी भर्ती करने से मना कर दिया गया और बैठने तक की इजाजत नहीं दी गई.

केंद्र सरकार ने देश भर में जरूरी सेवाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बना दिया है

गर्भवती महिला की पीड़ा पर अस्पताल प्रशासन संवेदनहीन बना रहा

प्रसव पीड़ा तेज होने के कारण महिला इमेरजेंसी वार्ड के बाहर ही फर्श पर बच्चे को जन्म दे दिया. इस पूरे घटनाक्रम को देखने के बाद भी अस्पताल प्रशासन संवेदनहीन बना रहा और उसने महिला की मदद करना जरूरी नहीं समझा.

यह अकेला मामला नहीं है जब आधार नहीं होने के कारण गरीबों और आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा हो. सरकारी योजनाओं से आधार को जोड़ने की अनिवार्यता के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें आती रही हैं कि गरीबों को राशन नहीं मिल रहा है.

पिछले दिनों झारखंड के सिमडेगा में एक बीपीएल परिवार को आधार कार्ड नहीं होने से सरकारी दुकान से राशन नहीं मिला. जिसकी वजह से परिवार की नाबालिग बेटी भूख से तड़प-तड़पकर मर गई.