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जीता जागता 'नरक' बन जाएगा मिलेनियम शहर गुरूग्राम

बढ़ते शहरीकरण के कारण 2001 से गुरूग्राम की जनसंख्या पांच गुनी बढ़ गई है.

Bhasha

विज्ञान एंव पर्यावरण केन्द्र (सीएसई) ने कहा है कि 'विस्फोटक शहरीकरण' एनसीआर शहर के संसाधन को सीमित कर रहा है और अगर इसके विकास मॉडल को दीर्घकालिक बनाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो यह मिलेनियम शहर 'नरक' बन सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया, इस प्रकार के अभूतपूर्व विकास ने जल, बिजली, भूमि, परिवहन और जैव विविधता जैसे संसाधनों की मांग को बेतहाशा बढ़ा दिया है. साथ ही कचरे के पहाड़ लगा दिए हैं. अगर इससे विकास के शुरूआती दौर पर ही नहीं निपटा गया, तो यह गुरूग्राम को नरक में बदल सकता है.


गुरूग्राम 'ए फ्रेमवर्क फॉर सस्टेनबिल डेव्लेपमेंट' नामक इस दस्तावेज में कहा गया है कि बढ़ते शहरीकरण के कारण 2001 से गुरूग्राम की जनसंख्या पांच गुनी बढ़ गई है.

फ्रेमवर्क दस्तावेज की अनुसंशाएं और कार्य एंजेडा संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पर आधारित है जिसके प्रति भारत ने प्रतिबद्धता जताई है. इन लक्ष्यों में स्वास्थ एंव शिक्षा को बेहतर बनाना, पर्यावरण परिवर्तन से निबटना और वनों का संरक्षण शामिल हैं.