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राम रहीम से लेकर व्यापमं के गुनाहों का कच्चा चिट्ठा खोलती गुमनाम चिट्ठ‍ियां

गुमनाम चिट्ठियों की वजह से राम रहीम जैसे कई गुनहगारों को सजा मिली. गुमनाम चिट्ठियों ने देश के कई बड़े फर्जीवाड़े और घोटालों से पर्दा हटाया.

Shivaji Rai

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के बलात्‍कार केस में जेल भेजने के पीछे सबसे मजबूत आधार वो गुमनाम चिट्ठी रही. जिसे पीड़ित साध्‍वी ने 13 मई 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी थी. गुमनाम चिट्ठी ने सिर्फ डेरा पीड़ित साध्‍वी को ही न्‍याय नहीं दिलाया.

गुमनाम चिट्ठियों की वजह से राम रहीम जैसे कई गुनहगारों को सजा मिली. गुमनाम चिट्ठियों ने देश के कई बड़े फर्जीवाड़े और घोटालों से पर्दा हटाया. बीते एक दशक पर नजर डाले तो साफ होगा कि गुमनाम चिट्ठियां सिर्फ शरारत और जांच को भटकाने तक ही सीमित नहीं रहीं, पीड़ि‍त की आवाज को न्‍याय के चौखट तक ले जाने में भी इनकी अहम भूमिका रही.


कुछेक मामलों में तो जांच एजेंसियों ने इन चिट्ठियों को ही प्रमुख आधार बनाया. मध्‍य प्रदेश का व्‍यापमं घोटाला हो या यूपी का दवा घोटाला, राजस्‍थान का भंवरी देवी हत्‍याकांड हो या वाराणसी और बुलंदशहर का संवासनी कांड, सभी की शुरुआती जांच का आधार गुमनाम चिट्ठियां ही रहीं.

माहेश्वरी ने गुमनाम चिट्ठी से किया खुलासा

मध्‍य प्रदेश के सबसे चर्चित घोटाले व्यापमं का खुलासा एक गुमनाम चिट्ठी के जरिए ही हुआ था. साल 2013 में इंदौर के पुलिस महानिरीक्षक विपिन माहेश्वरी को एक गुमनाम चिट्ठी के जरिए व्यापमं घोटाले की जानकारी दी गई थी. विपिन माहेश्वरी को यह चिट्ठी मंडल की तरफ से आयोजित की गई प्री-मेडिकल टेस्ट परीक्षा के एक दिन पहले मिली थी. माहेश्वरी ने गुमनाम चिट्ठी पर सक्रियता दिखाते हुए उसमें दी गई जानकारी के आधार पर होटलों की तलाशी शुरू कराई. क्राइम ब्रांच की टीम ने इंदौर के होटलों में छापा मारा और वहां से कुछ युवकों को गिरफ्तार किया.

गिरफ्तार युवकों के बैग को जब्त कर तलाशी ली गई तो उसमें पीएमटी की परीक्षा का प्रवेश पत्र मिला. पुलिस प्रवेश पत्र देखकर भौंचक रह गई. वजह थी कि जो प्रवेश पत्र मिला था वह पकड़े गए युवक का नहीं था. पूछताछ में वह सभी बातें सामने आ गईं जिसका जिक्र गुमनाम पत्र में था.

विपिन माहेश्वरी इस बात को सहज स्‍वीकारते रहे कि गुमनाम चिट्ठी पर गौर नहीं किया होता तो मध्य प्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) में फर्जी तरीके से डॉक्टर बनाने का खेल वर्षों चलता रहता.

बरेली महिला संरक्षण गृह का मामला भी बेनाम चिट्ठी से खुला

बीते सालों में राजस्थान के जोधपुर से लापता नर्स भंवरी देवी का मामला चर्चा में रहा. भंवरी देवी  की हत्‍या का खुलासा भी एक गुमनाम चिट्ठी के जरिए हुआ था. पुलिस ने शुरुआती जांच का आधार गुमनाम चिट्ठी को ही बनाया था. चिट्ठी के आधार पर ही कई ठिकानों की तलाशी ली गई और चिट्ठी में जिक्र लोगों से पूछताछ की गई.

मामला सीबीआई के पास गया, वहां भी जांच प्रक्रिया में चिट्ठी को बड़े आधार के तौर पर लिया गया. सीबीआई अधिकारी भी मानते रहे कि गुमनाम चिट्ठी की वजह से कई सुराग मिले जिससे केस को सुलझाने में काफी मदद मिली.

यूपी के वाराणसी के नारी निकेतन में संवासनियों के यौनशोषण का खुलासा भी एक गुमनाम चिट्ठी के जरिए ही हुआ था. गुमनाम चिट्ठी में नारी निकेतन के कर्मचारियों की मिलीभगत से संवासनियों के यौनशोषण की बात सामने आई थी. चिट्ठी मिलने के बाद ही शासन-प्रशासन और महिला आयोग की टीम हरकत में आई थी.

इसी तरह यूपी के बुलंदशहर के लक्ष्मी अल्पआवास नारी संरक्षण गृह में संवासनियों के यौनशोषण और बदसलूकी का मामला भी गुमनाम चिट्ठी के जरिए ही उजागर हुआ था. पुलिस ने उस चिट्ठी के आधार पर ही लक्ष्मी अल्प आवास नारी संरक्षण गृह के निदेशक को गिरफ्तार किया था. लखनऊ के मोतीनगर स्थित राजकीय बालगृह (बालिका) में बरेली महिला संरक्षण गृह से स्थानांतरित की गई दो संवासिनियों के गर्भवती होने का खुलासा भी गुमनाम चिट्ठी के जरिए हुआ था.

इतना तो साफ है राम रहीम जैसे गुनहगारों का संसार आज भले ही आम आदमी के लिए कल्पना का हिस्सा लगता हो. उसका प्रभाव भले ही पीड़ित को छिपने और दुख-दर्द को समाज के सामने नहीं लाने पर विवश करता हो. पर गुमनाम चिट्ठि‍यां उनको मजबूत आसरा देती हैं और गुनहगार को न्‍याय के चौखट तक घसीटकर लाती हैं.