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देश के बाबाओं का बवाल और सरकार से एक सवाल?

रेप के दोषी गुरमीत राम रहीम को पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत 28 अगस्त को सजा सुनाने वाली है

Ravishankar Singh

रेपिस्ट गुरमीत सिंह राम रहीम को लेकर देश में अगले कुछ दिन तक बहस छिड़े रहने की संभावना है. 28 अगस्त को पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत राम रहीम को सजा सुनाने वाली है. सजा का एलान होते ही राम रहीम की 'जेल यात्रा' की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी.

यह पहले बाबा नहीं है जो रेप केस में जेल जा रहे हैं, इनसे पहले भी कई स्वयंभू बाबाओं ने रेप के आरोप में जेल की हवा खाई है. जेल जाकर रेपिस्ट राम रहीम भी आसाराम और रामपाल की कैटेगेरी में शामिल हो जाएंगे.


आसाराम और रामपाल की जमानत को लेकर कोर्ट ने जिस तरह की सख्ती दिखाई है उससे यही अंदाजा निकाला जा सकता है कि राम रहीम को आसानी से बेल नहीं मिलेगी.

शुक्रवार को डेरा सच्चा सौदा समर्थक हरियाणा की सड़कों पर जिस तरह से खुलेआम दंगा-फसाद करते दिखे. उससे साफ हो गया कि इन बाबाओं ने अपने भक्त नहीं बल्कि गुंडे और अपराधी पाल रखे हैं. राम रहीम के इन गुंडे सरीखे भक्तों ने पंचकूला शहर को कई घंटों तक अपने कब्जे में रखा और जमकर उत्पात मचाया.

पिछले कई दिन से टीवी चैनलों के द्वारा दिखाई गई खबरों में एक भी ऐसी रिपोर्ट पंचकूला या सिरसा से नजर नहीं आई जिसमें अनुयायियों और समर्थकों ने राम रहीम के निर्दोष साबित होने पर मिठाई बांटने की बात कही हो. इसलिए यह कहना सही होगा कि राम रहीम के भक्तों को पहले से ही पता था कि उन्हें इस केस में जरूर सजा होकर रहेगी.

राम रहीम के रेपिस्ट साबित होने पर उनके समर्थकों और अनुयायियों ने पंचकूला की सड़कों पर जमकर उत्पात मचाया

गुंडे भक्त सजा होने पर देश को नक्शे से मिटाने की बात कर रहे थे

राम रहीम के गुंडे सरीखे भक्त अपने गुरु के बेकसूर साबित होने पर मिठाई बांटने की बात नहीं कर रहे थे. बल्कि, उन्हें सजा होने पर देश को नक्शे से मिटाने की बात कर रहे थे.

धन्य है हरियाणा पुलिस और उसके सलाहकार जो इसके बाद भी उपद्रव होने का इंतजार करते रहे. जब पूरा हरियाणा और मीडिया की गाड़ियां जलाई जाने लगी तब जाकर इन लोगों की नींद खुली.

देश की विडंबना है कि जहां एक राज्य के एक मेडिकल कॉलेज में अगस्त महीने में 250 से भी ज्यादा मासूम बच्चों की मौत हो जाती है. तब, देश के किसी भी दूसरे हिस्से में इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन नहीं होते.

लेकिन एक स्वयंभू बाबा जिसको कोर्ट ने रेपिस्ट करार दिया है, उसको बचाने के लिए 5 लाख लोग सड़कों पर उतर आते हैं. और रही सही कसर बीजेपी के बयान बहादुर सांसद साक्षी महाराज कर देते हैं. जो कहते हैं कि बाबा के लाखों भक्तों की बात को कोर्ट अनसुना कर रहा है.

देश में इस समय भ्रष्टाचार, राजनीति में अपराधीकरण, प्राइवेट स्कूल के फीस में बढ़ोतरी, सरकारी अस्पताल की दुर्दशा और बाढ़ जैसे मुद्दों को लेकर लोग सड़क पर नहीं उतरते. इस सब मसलों पर देश के बयान बहादुर नेताओं के बयान नहीं आते हैं. लेकिन, एक रेपिस्ट बाबा और वोट बैंक की खातिर लाखों समर्थकों को सड़कों पर उतरने दिया जाता है. साथ ही इसपर जनप्रतिनिधियों के द्वारा अनाप-शनाप बयान भी आ जाते हैं.

इसी देश में जब बलात्कारी को पकड़ा नहीं जाता है तो दिल्ली के इंडिया गेट से लेकर देश के दूसरे हिस्सों तक मोमबत्तियां जलाई जाती हैं. और अगर अपराधी पकड़ा जाता है और उसे सजा होती है तो शहर के शहर और राज्य के राज्य जलने और जलाने का खेल शुरू हो जाता है.

पिछले तीन साल में हरियाणा तीसरी बार जल रहा है. राजनीतिक दलों के द्वारा वोट बैंक की रोटियां सेंकना अब भारी पड़ने लगा है. पिछले एक सप्ताह से चेतावनी और दावों के बीच राजनीति की रोटी सेंकी जा रही थी. प्रशासन और नागरिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध सरकार झूठ पर झूठ बोल रही थी.

खट्टर सरकार हरियाणा में कानून व्यवस्था को संभाल पाने में बुरी तरह नाकाम साबित हुई है

अपराधी भक्त आतंक मचाने के लिए हरियाणा में खुले घूमते रहे

रेप की शिकार महिला मीडिया से दूर किसी कोने में सहमी और छुपी रही. राम रहीम के अपराधी भक्त आतंक मचाने के लिए पूरे हरियाणा में खुले घूमते रहे.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने पिछले अनुभवों से कुछ भी सीख नहीं लिया. हरियाणा की जनता के साथ मनोहर लाल खट्टर अब अपने ही नेताओं का भी विश्वास खोते जा रहे हैं.

रेपिस्ट राम रहीम का प्रभाव न तो मीडिया से छुपा है और न ही राजनेताओं से छुपा है. राम रहीम ने लोकतंत्र के साथ शासन के इकबाल को भी कठघरे में खड़ा कर दिया.

हरियाणा सरकार के लिए कुछ निर्णय ऐसे साबित हुए जिसकी अब समीक्षा होनी चाहिए. पहला, आखिर राम रहीम को सैकड़ों गाड़ियों के साथ सिरसा से पंचकुला जाने की इजाजत कैसे मिली?

दूसरा, हरियाणा सरकार को क्यों लगा कि इंटरनेट और बिजली काट कर वह पूरे मामले पर काबू पा लेगी? तीसरा, पंचकूला और सिरसा के लोगों को तीन दिन तक घरों में कैद रखा गया लेकिन धार्मिक उन्माद के नाम पर डेरा समर्थक सड़कों पर खुला उत्पात मचाते रहे?

यह पहला मौका नहीं है जब खट्टर सरकार की पुलिस बेअसर साबित हुई. इससे पहले भी दो मौकों पर खट्टर सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई थी. एक साल पहले भी जाट आंदोलन के वक्त हरियाणा में खट्टर सरकार बेबस और लाचार नजर आई थी. राज्य की सड़कों पर उपद्रवियों ने नंगा नाच किया था. तब भी असमाजिक तत्व सरकार को खुली चुनौती देते दिखे थे.

डेरा समर्थकों की हिंसा और उपद्रव के बीच सुरक्षाबलों के जवान फ्लैग मार्च करते हुए (फोटो : पीटीआई)

खट्टर सरकार लगातार तीसरी बार नाकाम साबित

बल्लभगढ़ में आंदोलनकारियों के द्वारा गैंगरेप की खबर आई थी. हलांकि, तब यह मामला दब गया था. संत रामपाल का भी मामला ज्यादा पुराना नहीं हुआ है. मनोहर लाल खट्टर के सत्ता में आते ही रामपाल के गुंडों ने सड़कों पर कोहराम मचाया था. उस समय भी सीएम खट्टर ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी.

पिछले कुछ साल से धर्म के इन ठेकेदार बाबाओं पर कोर्ट का रुख काफी सख्त हुआ है. खासकर राम नाम के इन बाबाओं के साथ कोर्ट किसी प्रकार की नरमी दिखाने के मूड में नजर नहीं आती दिख रही है. पहले आसाराम, फिर रामपाल उसके बाद रामवृक्ष और अब राम रहीम. इन सबों को जोड़ते हुए सोशल मीडिया में 'राम' नाम वाले बाबाओं को लेकर खासी चुटकी ली जा रही है.