आणंद कृषि यूनिवर्सिटी ने शुक्रवार से बेची गई 10 बकरियों को वापस ले लिया है. यूनिवर्सिटी को ये कदम पशु अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के बाद उठाना पड़ा. पशु चिकित्सा और पशुपालन के कॉलेज ने पोस्टर लगाए थे कि बकरीद के अवसर पर 3 अगस्त से 21 अगस्त तक बकरियां बेची जा रही हैं. इससे ये मैसेज गया कि उन बकरियों को बकरीद के समय कुर्बानी के लिए बेचा जा रहा है.
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने बिक्री के खिलाफ विरोध किया और आनंद कृषि यूनिवर्सिटी से पशुधन प्रजनन केंद्र में लगाए गए बैनर को उतारने के लिए संपर्क किया. बुधवार को बैनर को हटा दिया गया और कॉलेज ने माना कि बकरीद के अवसर पर बिक्री की घोषणा करके उन्होंने गलती की.
आणंद कृषि यूनिवर्सिटी के कुलपति एनसी पटेल ने न्यूज़ 18 को बताया- 'विभाग की तरफ से ये अनजाने में हुई गलती थी और जैसे ही इसे मेरे संज्ञान में लाया गया मैंने उसे ठीक कर दिया. बेची गई सभी 10 बकरियों को कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा वापस ले लिया गया है. और मैंने विभागीय कार्रवाई भी शुरू की है.'
ये पहला प्रयास था
यूनिवर्सिटी द्वारा मवेशियों को बेचने का यह पहला प्रयास था. लगभग तीन महीने पहले, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक बैठक में, यह निर्णय लिया गया था कि कृषि यूनिवर्सिटी के परिसरों में जिन बकरियों का पालन किया जाता है उन्हें किसानों को पालन और नस्ल के विकास के लिए बेचा भी जा सकेगा. साथ ही यह कृषि विश्वविद्यालयों के लिए राजस्व भी उत्पन्न करेगा.
जिला कलेक्टर और आणंद नगर पालिका को भेजी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बकरियों की बिक्री किसानों को सिर्फ पालन और प्रजनन उद्देश्यों के लिए की जा रही थी वध के लिए नहीं. यूनिवर्सिटी ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि पशु चिकित्सा और पशुपालन विभाग द्वारा लगाया गया बोर्ड गलत था.