view all

गुजरात हाई कोर्ट ने संजीव भट्ट की याचिका को खारिज करने वाले आदेश पर लगाया स्टे

संजीव भट्ट ने अपने खिलाफ 1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में शुरू हुई कानूनी प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी

Bhasha

गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार को निलंबित आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की याचिका को खारिज करने वाले आदेश पर रोक लगा दी है. इस याचिका में संजीव भट्ट ने अपने खिलाफ 1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में शुरू हुई कानूनी प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी.

भट्ट के वकील आईएच सैयद ने हाई कोर्ट से याचिका को खारिज करने वाले आदेश पर चार हफ्ते तक रोक लगाने की अपील की थी ताकि वो हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सके.


शनिवार को हुई बहस के बाद के बाद जस्टिस आरएच शुक्ला ने हाई कोर्ट के आदेश पर तीन हफ्ते के लिए रोक लगा दी.

क्या है मामला?

सैयद ने कहा कि स्टे लगाने से भट्ट के खिलाफ होने वाली सुनवाई पर भी 13 अगस्त तक रोक लग गई है. जो जामनगर सेशन कोर्ट में शुरू होने वाली थी.

जामनगर सेशन कोर्ट ने भट्ट के साथ-साथ सभी आरोपियों के खिलाफ 30 अक्टूबर 1990 की रात एक व्यक्ति प्रभुदास वैश्नानी की हिरासत में हुई मौत के मामले में सुनवाई शुरू करने का फैसला किया था.

1990 में भट्ट जामनगर में एसीपी थे. उन्होंने आडवाणी की ‘रथ यात्रा’ के रोके जाने का विरोध कर रहे कई बीजेपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था. प्रभुदास वैश्नानी भी इनमें से एक था. जिसकी बाद में हिरासत में मौत हो गई थी और प्रभुदास के भाई अमृतलाल वैश्नानी ने भट्ट और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था.