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इशरत मुठभेड़ को फ़र्जी साबित करने की रची गई साजिश: पूर्व IPS

सीबीआई के विशेष जज के सामने बरी करने की अपनी याचिका पर दलील देते हुए पूर्व पुलिस अधिकारी एन के अमीन ने कहा, मेरे खिलाफ FIR ‘मनगढ़ंत, पूर्वाग्रह से प्रेरित और गलत तथ्यों’ पर आधारित है'

Bhasha

गुजरात पुलिस के पूर्व अधिकारी एन के अमीन ने सीबीआई अदालत में कहा कि इशरत जहां मुठभेड़ को फर्जी साबित करने की साजिश रची गई थी. अमीन इशरत जहां मुठभेड़ मामले में आरोपी हैं.

सीबीआई के विशेष जज जे के पांड्या के सामने बरी करने की अपनी याचिका पर दलील देते हुए अमीन ने कहा कि उनके खिलाफ एफआईआर ‘मनगढ़ंत, पूर्वाग्रह से प्रेरित और गलत तथ्यों’ पर आधारित है.


अमीन पर आरोप है कि उन्होंने 14 जून , 2004 को इशरत जहां और 3 अन्य पर 5 गोलियां चलाई थी. अमीन ने दावा किया कि आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा भी इस साजिश में शामिल थे. वर्मा मामले के पूर्व जांचकर्ता थे.

अमीन और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी डी जी वनजारा ने मामले से बरी करने की याचिका दायर की थी, जिसका विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि उनके खिलाफ उसके पास पर्याप्त सबूत हैं.

यह दोनों अधिकारी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.

सीबीआई कोर्ट ने इससे पहले फरवरी में गुजरात के पूर्व डीजीपी पी पी पांडेय को बरी कर दिया था. अदालत ने कहा था कि पांडेय पर लगे आरोपों के सबूत नहीं हैं इसलिए उन्हें इस केस से बरी किया जाता है. पी पी पांडे इस मामले में पहले आरोपी हैं जिन्हें कोर्ट ने बरी किया था.

क्या है इशरत जहां एनकाउंटर केस?

15 जून, 2004 के दिन गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 19 साल की इशरत जहां समेत 4 लोगों को मुठभेड़ में मार गिराया था. पुलिस ने दावा किया था कि ये चारों आतंकवादियों थे और राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे.

गुजरात हाईकोर्ट की गठित एसआईटी ने जांच में पाया कि यह मुठभेड़ फर्जी था. इसके बाद कोर्ट ने जांच के लिए इस केस को सीबीआई को सौंप दिया था.