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गुजरात ग्राउंड रिपोर्ट: मिस्टर इंडिया स्टाइल में चलता है शराब का धंधा

गुजरात में शराब का धंधा हवा की तरह है, जो महसूस तो होता है लेकिन दिखाई नहीं देता

Pratima Sharma

क्या गुजरात में शराब मिलती है? आप राज्य के जिस भी कोने में यह सवाल पूछेंगे, इसका जवाब आपको 'हां' में ही मिलेगा. लेकिन जब आप यह पूछेंगे कि कहां मिलेगी, तो लोग बताने में हिचकेंगे. वे पहले आपको भांपने की कोशिश करेंगे और यह समझना चाहेंगे कि आपकी मंशा क्या है. एकबार भरोसा करने के बाद वे धीरे-धीरे खुलेंगे.

यहां के कुछ स्थानीय लोग इस पर बात करने को राजी तो हुए लेकिन पहले यह पक्का कर लिया कि उनकी न तो फोटो छपेगी ना नाम. नाम न बताने की शर्त पर अहमदाबाद के श्याम राजपूत (बदला हुआ नाम) ने कहा, ‘गुजरात में कहने के लिए शराब बंद है. लेकिन यहां हर इलाके में शराब मिल जाएगी. बस आपको खरीदने का तरीका आना चाहिए.’


राजपूत को जैसे-जैसे मुझ पर भरोसा हो रहा था वह और कई राज खोल रहे थे. उन्होंने कहा, ‘गुजरात में शराब बिक्री के आंकड़े आधिकारिक नहीं है. अगर आधिकारिक होते तो गुजरात का शुमार सबसे ज्यादा शराब पीने वाले राज्यों में होता.’

मिस्टर इंडिया के स्टाइल में शराब का धंधा

गुजरात में शराब का धंधा अदृश्य तौर पर चल रहा है. जो सामने से नजर नहीं आता है लेकिन होता है. यह बिल्कुल वैसे ही काम करता है जैसे मिस्टर इंडिया में अनिल कपूर. जो होते तो हैं लेकिन दिखाई नहीं देते हैं. और नजर आते भी हैं तो सिर्फ उन लोगों को ही जो उनके अपने होते हैं.

अब तक श्याम राजपूत को मुझ पर पूरी तरह भरोसा हो चला था. उन्होंने कहा, ‘अगर तुम जाने के लिए तैयार हो तो मैं उस इलाके में तुम्हें भेज सकता हूं शराब देसी विदेशी कोई भी ब्रांड मिल जाएगी.’ श्याम राजपूत से ही मुझे पता चला कि क्योंकि मैं पहली बार शराब खरीदना चाहती हूं इसलिए मुझे खुद जाना होगा. जो कस्टमर पुराने हैं उन्हें बस एक कॉल में होम डिलीवरी मिल जाती है.

छारा नगर ..अहमदाबाद की बदनाम गली

मेरे हामी भरने पर राजपूत ने कहा, ‘आपको छारा नगर जाना होगा.’ छारा नगर यानी अहमदाबाद की सबसे बदनाम गली. मेरे मन में इस गली को लेकर थोड़ी आशंका थी. मैंने पूछा, ‘क्या मैं वहां जा सकती हूं.’ उन्होंने कहा, तुम छारा नगर पहुंचों मेरी दोस्त तुम्हें मिल जाएगी.

शराब पीकर नशे में धुत्त शख्स
फोटो प्रतिमा शर्मा

छारा नगर जाने के बाद मुझे स्कूटी पर भंवरी देसाई मिलीं. मैंने पूछा क्या आप मेरे साथ चलेंगी. देसाई के हां कहने पर मैं पीछे स्कूटी पर बैठने लगी. मेरे बैठने से पहले देसाई ने कहा, ‘अपने बाल खोल लो. उन्हें लगना चाहिए कि हम शहर घूमते हुए आए हैं और पार्टी के मूड में हैं.’ उनके बताए अनुसार हुलिया बनाकर मैं पीछे स्कूटी पर बैठ गई.

छारा नगर की गली में दाखिल होते ही आपको ऐसा लगेगा मानों आप ‘रईस’ फिल्म का हिस्सा बन गए हों. एकदम संकरी गली के दोनों तरफ घर हैं. जिनका कब्जा गली के आधे हिस्से पर है. गली में बस इतनी जगह है कि एक टू व्हीलर इधर से चला जाए और एक उधर से आ जाए.

हर ब्रांड मिल जाएगी यहां 

गली में थोड़ी दूर जाने के बाद हम एक घर के सामने रुके तो एक महिला बर्तन धो रही थी. हमने पूछा क्या हमें बीयर मिलेगी? उस महिला ने हमें देखा और थोड़ी देर सोचकर बोला, नहीं! आगे चली जाओ. हम कुछ दूर और आगे बढ़ें और एक दुकान पर रुके. हमने फिर पूछा बीयर मिलेगी. जवाब हां में था.

दुकान पर खड़े शख्स ने एक महिला की तरफ इशारा किया. वह महिला हमारे पास आई और बोली क्या चाहिए. हमारा जवाब तैयार था, ‘लेडीज पार्टी करवा मांगे छे. बीयर जोई छे.’

यानी महिलाओं को पार्टी करनी है इसलिए बीयर ढूंढ रही हूं. उस महिला ने पूछा कितनी बीयर चाहिए. असली ग्राहक की तरह हमने आपस में बात करते हुए फाइनल किया कि एक बीयर से काम चल जाएगा. मैंने पूछा कितने पैसे दूं. उस महिला ने कहा 400 रुपए. यानी एक ब्रैंड की बीयर (जिसका नाम हम नहीं जाहिर कर रहे) जिसकी कीमत सामान्य बाजार में 87 रुपए है. गुजरात के छारा नगर में उसके लिए 400 रुपए कीमत चुकानी पड़ेगी.

हमारा ऑर्डर पैसे लेने के बाद उस महिला ने कहा, ‘मारी पास नथी. बाजूवाला पासे थी, लई आवु.’ यानी मेरे पास नहीं है पड़ोस से ले आती हूं. इतना कहने के बाद वह महिला बगल वाले घर में चली गई. करीब 10 मिनट के बाद वह बीयर की बोतल के साथ वापस लौटी और मेरे बैग में डाल दिया.

बेधड़क चल रहा है यह धंधा

इस 10 मिनट में हमने जो देखा वो और दिलचस्प था. गली के लोगों की नजरें हम पर टिकी हुईं थीं. और हमारी आंखें उस महिला को खोज रही थी. वह महिला बगल वाले घर में गई और पीछे के रास्ते से अपने घर में आ गई. हालांकि उसके घर के सामने पर्दा लगा था लेकिन हमने यह साफ तौर पर देखा कि उसने अपने घर से ही बीयर की बोतल निकाली.

ऐसा क्यों किया? यह पूछने पर देसाई ने कहा, ‘चुनाव की वजह से ये थोड़े सचेत हो गाए हैं. सामान्य दिनों में ये बड़े आराम से बाहर पीते हुए मिल जाएंगे.’ छारा नगर की गलियों में जितने भी घर हैं, उनकी पहली मंजिल पर शराब का धंधा बड़ आराम से फल फुल रहा है.

अभी हम गली से निकले भी नहीं थे कि पहली मंजिल से एक शख्स सफेद पॉलिथीन में नीले रंग की कोई चीज लेकर निकला. देखने में वह मिट्टी के तेल की तरह था. लेकिन उसकी हकीकत मुझे देसाई ने बताई. उन्होंने इशारे से दिखाते हुए कहा, यह देसी दारू है. यहां हर तरह की शराब बड़ी आसानी से मिल जाती है. बस आपको पूरे आत्मविश्वास के साथ छारा नगर की गली में दाखिल होना है और अपनी डिमांड रखनी है.

दिलचस्प है छारा नगर

छारा नगर की एक दिलचस्प बात यह है कि यहां शराब के धंधे में जितने पुरुष हैं उससे ज्यादा महिलाएं हैं. यहां खरीदार भी महिलाएं थी तो भी यह बात किसी को अजूबा नहीं लगी. ऐसा लग रहा था यह उनके लिए रोज की बात है.

छारा नगर से करीब 100 मीटर दूर नरोदा पाटिया की पुलिस चौकी है. लेकिन मजाल है कि कभी पुलिस अस गली का रुख कर ले. देसाई ने कहा, ‘कभी कभार पुलिस इस गली में दाखिल होने की हिम्मत कर भी ले तो उन्हें गली के मुहाने से ही मार कर भगा दिया जाता है.’

फ़र्स्टपोस्ट की टीम ने जब नरोदा पाटिया चौकी के पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है. जबकि हम जानते हैं कि ऐसा ही है.