मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से प्रभावित हजार किसान अब गुजरात हाई कोर्ट पहुंच गए है. किसानों ने कोर्ट मे हलफनामा दाखिल कर इस प्रोजेक्ट का विरोध किया है.
चीफ जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस वी एम पांचोली की एक खंडपीठ बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण को चुनौती देने वाली पांच याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
वहीं दूसरी तरफ किसानों के वकील आनंद यागनिक ने कहा कि 3 महीनों से केंद्र ने इन याचिकाओं पर कोई जबाव नहीं दिया है.
इन याचिकाकर्ताओं के अलावा 1000 किसानों ने हाई कोर्ट में अलग से हलफनामा देकर कहा कि केंद्र की इस महत्वाकांक्षी 1.10 लाख करोड़ रुपए की परियोजना से काफी किसान प्रभावित हुए हैं और वे इसका विरोध करते हैं.
क्या हैं किसानों के आरोप?
बुलेट ट्रेन के प्रस्तावित मार्ग से जुड़े गुजरात के विभिन्न जिलों के प्रभावित किसानों ने हलफनामे में कहा कि वे नहीं चाहते कि परियोजना के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया इस परियोजना के लिए भारत सरकार को सस्ती दर पर कर्ज मुहैया कराने वाली जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के दिशानिर्देशों के भी विपरीत है.
किसानों ने आरोप लगाया कि गुजरात सरकर ने बुलेट ट्रेन के लिए सितंबर 2015 में भारत और जापान के बीच समझौते के बाद भू अधिग्रहण अधिनियम 2013 के प्रावधानों को हलका किया और प्रदेश सरकार द्वारा किया गया संशोधन अपने आप में जेआईसीए के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. उन्होंने अदालत को बताया कि न तो उनकी सहमति ली गई न ही भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई करते हुए उनसे कोई परामर्श किया गया.
(भाषा से इनपुट)