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एक देश-एक टैक्स लागू, जीएसटी यानी गुड एंड सिंपल टैक्स

70 साल बाद आधी रात को देश एक बार फिर गवाह बना एक नई आजादी का.

Kinshuk Praval

70 साल बाद आधी रात को देश एक बार फिर गवाह बना एक नई आजादी का. वो आजादी जो अनगिनत टैक्स की बेड़ियों में जकड़ी हुई थी. वो आजादी जो तकरीबन प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष पांच सौ टैक्स के बोझ के नीचे दबी हुई थी. वो आजादी जो पुरानी सोच और व्यवस्थाओं में सिमटी हुई थी. आखिरकार मैराथन प्रयासों के बाद ‘एक राष्ट्र एक टैक्स’ की अवधारणा ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में रात 12 बजे हकीकत में तब्दील हो गई. टैक्स के सबसे बड़े बदलाव के दावों के साथ ही देश नई व्यवस्था में प्रवेश कर गया.

ठीक रात 12 बजे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण के बाद देश में जीएसटी लागू हो गया. राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 'ये एक ऐतिहासिक पल है. कुछ देर में हम एक नई टैक्‍स व्‍यवस्‍था को अपनाएंगे. यह मौका मेरे लिये व्‍यक्तिगत रूप से बेहद खास है. जीएसटी को लेकर पूरा विश्‍वास था. शुरुआत में कुछ परेशानियां आ सकती हैं लेकिन जीएसटी से बहुत बड़ा बदलाव आएगा'.


इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी को लेकर आशंकित होने की किसी को भी जरूरत नहीं. गरीबों को समर्पित जीएसटी को सिर्फ इतने भर से समझा जा सकता है कि ये गुड एंड सिंपल टैक्स है.

जीएसटी के  लागू होने के साथ ही देश भर में आधी रात को लोगों ने जश्न मनाना शुरु कर दिया. कहीं मिठाइयां बांटी गईं तो कहीं लोगों ने आतिशबाजी कर जीएसटी का स्वागत किया. मल्टीब्रांड मेगा स्टोर बिग बाज़ार ने रात 2 बजे तक बाजार ओपन कर जीएसटी का स्वागत किया.

ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में रचा गया इतिहास  

इस ऐतिहासिक मौके का गवाह बना वो सेंट्रल हॉल जो आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी की रात तक का जीवंत प्रतीक है. सेंट्रल हॉल के मुख्य द्वार से ही महाउत्सव की रौनक को देखा जा सकता था. सेंट्रल हॉल लाल रंग के कालीनों से सजा हुआ था. फूलों की खुशबू आने वाले बदलाव की महक का पता दे रही थी. जगमगाती रोशनी से सराबोर सेंट्रल हॉल 70 साल पहले की उस ऐतिहासिक रात की यादें ताजा कर रहा था जब मुल्क ने आज़ादी की पहली सांस भरी थी.

रात 10 बजे से ही सेंट्रल हॉल में सारे केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की आवाजाही से गहमागहमी थी. सबसे पहले पीएम मोदी सेंट्रल हॉल पहुंचे. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने पीएम मोदी का स्वागत शॉल पहना कर किया. इस मौके पर वित्तमंत्री अरुण जेटली और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी मौजूद थे. फिर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी संसद पहुंचे. उनके स्वागत के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संसद पहुंचे. राष्ट्रपति की अगवानी के बाद उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, पीएम मोदी, वित्तमंत्री अरूण जेटली और सभापति सुमित्रा महाजन ने सेंट्रल हॉल में प्रवेश किया.

रात 11 बजे से जीएसटी के लॉन्च को लेकर भव्य आयोजन की शुरुआत हुई. खचाखच भरे सेंट्रल हॉल में सबसे पहले राष्ट्रगान गूंजा. भारत माता की जय का उद्घोष गूंजा. मंच पर विराजमान विशिष्ट अतिथियों में शामिल पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को सम्मानित किया गया. सेंट्रल हॉल में अग्रिम पंक्ति में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बैठे हुए थे.

वित्तमंत्री अरूण जेटली ने जीएसटी पर सबसे पहले स्पीच दी. संसद के मिडनाइट सेशन पर उन्होंने कहा कि ‘ये देश के लिए ऐतिहासिक मौका है. नए देश में एक टैक्स, एक मार्केट होगा. इसमें राज्य और केंद्र मिलकर काम करेंगे.’

उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि मौजूदा टैक्स टैक्स से ज्यादा किसी को बोझ नहीं पड़े.

जीएसटी को लेकर हुए अब तक प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को जीएसटी के सफर का सबसे अहम गवाह बताया.

अरुण जेटली ने जीएसटी के लिये देश के सभी सांसदों, पार्टियों और राज्यों के सहयोग को धन्यवाद देते हुए कहा कि जीएसटी की काउंसिल में एक बार भी वोटिंग की जरूरत नहीं पड़ी.

जीएसटी साझा प्रयासों का परिणाम - पीएम

वित्तमंत्री के बाद पीएम मोदी ने सेंट्रल हॉल को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि सवा सौ करोड़ देशवासी इस ऐतिहासिक बदलाव के गवाह बनने जा रहे हैं.

‘जिस रास्ते को हमने चुना है और जिस व्यवस्था की तरफ हम बढ़ रहे हैं यह किसी एक दल या किसी एक सरकार की उपलब्धि नहीं है. बल्कि ये हम सबकी साझी विरासत है और साझे प्रयासों का परिणाम है.’

14 अगस्त 1947 की वो रात और सेंट्रल हॉल

जीएसटी के एलान के लिये सेंट्रल हॉल को ही चुनने पर उन्होंने कहा कि ‘वर्षों बाद एक नई अर्थव्यवस्था के लिये, संघीय ढांचे की नई ताकत के लिये जीएसटी के रूप में इस सेंट्रल हॉल से पवित्र जगह कोई दूसरी नहीं हो सकती है’

पीएम मोदी ने सेंट्रल हॉल के इतिहास का जिक्र करते हुए संविधान सभा की पहली बैठक को याद किया. उन्होंने कहा कि ‘9 दिसंबर 1946 संविधान सभा की पहली बैठक का ये सभागृह साक्षी है. पंडित जवाहर लाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, अबुल कलाम आजाद, बाबा साहब आंडबेडकर, आचार्य कृपलानी, राजेंद्र बाबू और सरोजिनी नायडू यहां पहली कतार में बैठे हुए थे. वहीं 14 अगस्त 1947 को रात बारह बजे यहीं से आजादी की नई सुबह का एलान हुआ था.

14 अगस्त 1947 के समय सेंट्रल हॉल को कॉन्स्टिट्यूशन हॉल कहा जाता था. देश को आजादी मिलने वाली थी. तब आधी रात को विशेष सत्र बुलाया गया. पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद चेयर पर बैठे थे. वंदे मातरम गान के बाद  राष्ट्रपति और फिर पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भाषण दिया था.

जीएसटी देश का आर्थिक एकीकरण है - पीएम

एक देश एक टैक्स की व्यवस्था पर उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल का उदाहरण देते हुए बताया कि ‘आजादी के समय देश तकरीबन पांच सौ रियासतों में बंटा हुआ था. अगर पटेल के प्रयासों से देश का एकीकरण नहीं हुआ होता तो देश का मानचित्र फिर कैसा होता? जिस प्रकार से पटेल ने रियासतों का मिलाकर राष्ट्रीय एकीकरण का काम किया उसी तरह जीएसटी आर्थिक एकीकरण है.’

पीएम मोदी ने अलबर्ट आइंस्टीन की भी एक घटना का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि मशहूर वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन का कहना था कि सबसे मुश्किल काम है इनकम टैक्स को समझना. अगर वो आज यहां होते तो यहां के पांच सौ टैक्स को देखकर क्या सोचते?

पीएम मोदी ने जीएसटी को देश के गरीबों के लिये सार्थक व्यवस्था बताते हुए इसे आशंका से न देखने की अपील की. उन्होंने कहा कि जीएसटी सरल और पारदर्शी व्यवस्था है जो कालेधन और भ्रष्टाचार को रोकने में अवसर प्रदान करती है.

पीएम मोदी ने जीएसटी की तुलना गीता के साथ की. उन्होंने कहा कि जिस तरह से गीता के 18 अध्याय हैं उसी तरह जीएसटी के लिये भी 18 बैठकें हुई हैं.

जाहिर तौर पर केंद्र के लिये जीएसटी टैक्स के महाग्रंथ के समान है क्योंकि इसके तमाम पेंच और उलझनों के बावजूद केवल 3 साल में उसे जमीन पर उतारने में कामयाब हो सकी है.

बहरहाल आधी रात को टैक्स के ऐतिहासिक बदलाव के साथ ही सेंट्रल हॉल के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया. चौथा मौका रहा जब सेंट्रल हॉल में मिडनाइट सेशन लगा. इससे पहले तीनों मौकों पर आजादी के जश्न के लिए आधी रात को संसद बुलाई गई थी. 14 अगस्त 1972 को आजादी के 25 साल पूरे होने तो 14 अगस्त 1997 को आजादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर मिडनाइट सेशन बुलाया गया था.

लेकिन 70 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी टैक्स रिफॉर्म के लिए आधी रात को संसद चली. 1991 में जब देश में आर्थिक सुधार हुए थे उसके बाद यह पहला मौका है जब देशभर में गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स लागू होने के रूप में ऐसा दूसरा सुधार हुआ.

30 जून 2017 की तारीख हमेशा के लिये इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई और ये रात अनगिनत टैक्स से आजादी की रात के रूप में याद रखी जाएगी.