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GST को लेकर अब भी हैं कन्फ्यूज? यहां मिलेंगे सारे जवाब

कारोबारियों, व्यापारियों सहित अन्य लोगों के बीच कन्फ्यूजन को बढ़ाने का काम लोगों में जीएसटी को लेकर भ्रम ने किया है

FP Staff

देश में जीएसटी लागू हो चुका है. कारोबारियों, व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन का सिलसिला भी चल रहा है. लोग अपनी दिक्कतें लेकर जीएसटी सुविधा केंद्र पर भी पहुंच रहे हैं, सरकार भी अपनी तरफ से कई कोशिशें कर रही है कि जीएसटी को लेकर सभी कन्फ्यूजन दूर हो. लेकिन फिर भी कई सवाल हैं जिनका जवाब कारोबारी और व्यापारी जानना चाहते हैं.

जीएसटी को लेकर कई तरह के कन्फ्यूजन कारोबारियों, व्यापारियों सहित अन्य लोगों के बीच बनी हुई है. साथ ही इस कन्फ्यूजन को बढ़ाने का काम लोगों में जीएसटी को लेकर भ्रम ने किया है. दरअसल लोगों में भ्रम है कि जीएसटी के बाद हर वक्त इंटरनेट की जरूरत होगी, जबकि सच्चाई यह है कि सिर्फ रिटर्न ऑनलाइन भरते वक्त इंटरनेट की जरूरत है. बाकी समय इंटरनेट की कोई जरूरत नहीं है.


वहीं रसीदें सिर्फ कंप्यूटर से जनरेट होंगी, जबकि सच्चाई यह है कि रसीद के लिए कंप्यूटर जरूरी नहीं है. बिजनेस को लेकर लोगों के भीतर भ्रम है कि बिजनेस के लिए जीएसटी आईएन नंबर जरूरी है, बल्कि सच्चाई तो यह है कि व्यापारियों और कारोबारियों का मौजूदा प्रोविजनल आईडी ही जीएसटी आईएन नंबर होगा.

लोगों में भम्र है कि अब हर महीने 3 रिटर्न भरने हैं जबकि लोगों को केवल 1 रिटर्न भरना है, जिसे 3 हिस्सों में बांटा गया है. पहला रिटर्न भरना है, बाकी कंप्यूटर जनरेट करेगा. इधर, लोगों में यह भी भ्रम है कि छोटे डीलर्स भी रिटर्न में हर रसीद का ब्यौरा देंगे जबकि सच्चाई यह है कि छोटे रिटेलर्स को सिर्फ कुल बिक्री का ब्यौरा ही देना है. वहीं वेट के मुकाबले जीएसटी रेट ज्यादा होने का भी भम्र व्यापारियों को है लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल, जीएसटी में सभी टैक्स शामिल होने के कारण फिगर बड़ा है.

( साभार: न्यूज 18 )