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बिना संशोधन राज्यसभा में जीएसटी को हरी झंडी, 1 जुलाई से होगा लागू

लोकसभा 29 मार्च को ही विधेयक को मंजूरी दे चुकी है

FP Staff

संसद ने देश में ऐतिहासिक जीएसटी के लिए रास्ता साफ करते हुए सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी है. साथ ही सरकार ने आश्वस्त किया कि नई कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा तथा कृषि पर कर नहीं लगाया जाएगा.

राज्यसभा ने गुरुवार को सी जीएसटी विधेयक, आई जीएसटी विधेयक, यूटी जीएसटी विधेयक: और माल और सेवाकर विधेयक 2017 पर चर्चा के बाद लोकसभा को लौटा दिया. इन विधेयकों पर लाए गए विपक्ष के संशोधनों को उच्च सदन ने खारिज कर दिया.


मनी बिल होने के कारण इन चारों विधेयकों पर राज्यसभा में केवल चर्चा करने का अधिकार था. लोकसभा 29 मार्च को इन विधेयकों को मंजूरी दे चुकी है.

राज्य और केंद्र एक साथ इक्ट्ठा कर सकेंगे कर

वस्तु एवं सेवा कर संबंधी विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटेली ने विपक्ष की आशंकाओं को खारिज किया. जिसमें कहा जा रहा था कि इन विधेयकों के जरिए कराधान के मामले में संसद के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि पहली बात तो यह है कि इसी संसद ने संविधान में संशोधन कर जीएसटी परिषद को करों की दर की सिफारिश करने का अधिकार दिया है.

जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था है. संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया. जहां तक कानून बनाने की बात है तो यह संघीय ढांचे के आधार पर होगा, वहीं संसद और राज्य विधानसभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी.

उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया गया है कि यह देश का एकमात्र ऐसा कर होगा जिसे राज्य और केंद्र एक साथ इकट्ठा करेंगे.