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GST काउंसिल बैठक: इन 22 चीजों की घटाई गई हैं जीएसटी दरें, एक जनवरी से नई कीमतें होंगी लागू

28% फीसदी GST के दायरे में अभी 28 आइटम हैं इनमें लग्जरी आइटम शामिल हैं

FP Staff

जीएसटी काउंसिल (GST Council) की 31वीं बैठक में कुल 22 चीजों से जीएसटी दरें घटाने पर फैसला हो गया है. इनमें से 7 आइटम को 28 फीसदी की स्लैब से हटाकर 18 फीसदी की स्लैब में रखा गया है. वहीं कांग्रेस नेता वी नारायणसामी ने कहा है कि 33 आइटम पर जीएसटी दर 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी और 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है. बता दें कि पिछले सप्ताह पीएम मोदी ने दरें घटाने की बात कही थी. ऐसे में आमलोग इसे सरकार की तरफ से दिया न्यू ईयर तोहफा समझ सकते हैं.

वो 22 चीजें जिनकी जीएसटी दरें कम की गईं-


- मॉनिटर, टेलीविजन स्क्रीन, टायर, वीसीआर,थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, लिथियम बैट्री की जीएसटी दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है.

- फिल्म टिकट: 100 रुपए तक की टिकट होने पर जीएसटी दर 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. जबकि इससे ऊपर की टिकट पर जीएसटी 28 फीसदी के घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया.

- दिव्यांग लोगों के लिए सहायक उपकरण जैसे व्हीलचेयर और हैंडीकैप्ड मोबिलिटी व्हीकल को 5 फीसदी जीएसटी स्लैब में किया गया है

- फ्रोजन वेजीटेबल को 5 फीसदी जीएसटी स्लैब से 0 फीसदी कर दिया गया है. वहीं रजिस्टर कंपनियों से गोल्ड एक्सपोर्ट को 3 फीसदी के स्लैब से 0 फीसदी के स्लैब में जाला गया है.

- म्यूजिक बुक को 12 फीसदी स्लैब से 0 फीसदी स्लैब कर दिया गया है.

- सोलर पावर जनरेटिंग आइटम पर अब 5 फीसदी जीएसटी ही लगेगा

- फुट वियर को 5 फीसदी और 18 फीसदी के स्लैब से 12 फीसदी के स्लैब में करने का प्रस्ताव दिया गया है

- धार्मिक यात्रा पर जाने वालों को चार्टर प्लेने के लिए अब सिर्फ 5 फीसदी टैक्स देना होगा.

-सीमेंट और ऑटो पार्ट्स पर कोई जीएसटी कटौती नहीं की गई है.

अब 28% जीएसटी में 28 आइटम बचे हैं यदि हम लग्जरी और खराब (sin) आइटमों को शामिल करते हैं.13 आइटम ऑटोमोबाइल पार्ट्स से हैं और 1 सीमेंट है. सीमेंट का राजस्व 13000 करोड़ है और ऑटोमोबाइल पार्ट्स का राजस्व 20000 करोड़ है. यदि उन्हें 28% से 18% तक लाया जाता है तो 33000 करोड़ के निहितार्थ हैं.

नई जीएसटी दरें 1 जनवरी 2019 से लागू होंगी. 31 वीं जीएसटी परिषद की बैठक ने राजस्व प्रवृत्ति का अध्ययन करने के लिए 7-सदस्यीय समूह मंत्री बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसमें कुछ राज्यों में राजस्व संग्रह को प्रभावित करने वाले संरचनात्मक पैटर्न के कारणों का विश्लेषण करना शामिल है.