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'राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम' तेजी से लागू करे भारत सरकार: ग्रीनपीस

वायु प्रदूषण पूरे साल की परेशानी है और यह केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, पूरे देश भर में फैला है

Bhasha

दिल्ली में पिछले कई दिनों से धूल का गुबार छाया हुआ है. वहीं वायु प्रदूषण का स्तर इतना 'गंभीर’ हो गया है कि सांस लेना तक दूभर हो चुका है. धूल की वजह से गर्मी भी कम नहीं हो रही. इस स्थिति को देखते हुए पर्यावरण पर काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस ने पर्यावरण मंत्रालय से 'राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम' को तेजी से लागू करने की अपील की है.

संस्था ने कहा कि वायु प्रदूषण न बोलने और न दिखने वाला हत्यारा है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति इस बात पर जोर देती है कि बड़े प्रदूषकों को इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.


क्या है 'राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम'?

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 17 अप्रैल 2018 को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) का मसौदा जारी किया था. इसका मकसद देश भर में वायु प्रदूषण को निपटाना है.

ग्रीनपीस इंडिया के वरिष्ठ प्रचारक (पर्यावरण और ऊर्जा) सुनील दाहिया ने कहा, ‘वायु प्रदूषण पूरे साल की परेशानी है और यह केवल दिल्ली में नहीं है,पूरे देश भर में है. पर्यावरण मंत्रालय को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम लागू कराने में तेजी लानी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘वायु प्रदूषण एक आपातकाल की स्थिति है और बड़े प्रदूषकों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.’ हालांकि दिल्ली में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है और खुले में प्लास्टिक-कूड़ा जलाने पर कड़ी रोक लगाई गई है. दाहिया ने इस बाबत कहा कि ये कदम पर्याप्त नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई गंभीर चर्चा भी तब शुरू हो पाती है जब लोगों को दिक्कतें होने लगती हैं.

उत्तर भारत में वायु प्रदूषण हमेशा मौजूद

दाहिया ने कहा, ‘उत्तर भारत में राजस्थान से चलने वाली धूल भरी हवाओं के कारण धुंध दिखाई देने लगा है. लेकिन उत्तर भारत में वायु प्रदूषण हमेशा मौजूद रहता है.’ दाहिया ने कहा कि जहरीले गैसों ने वायु प्रदूषण को खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया है. धूल भरी आंधी और अन्य मौसमी कारणों ने संकट बढ़ाया है.’

उन्होंने इस बात को खारिज किया कि मौसम के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है. मौसम हालात को और भी गंभीर बना देता है.