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बच्चों के रेपिस्ट को सजा-ए-मौत का कानून नहीं चाहती केंद्र सरकार

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की मोदी सरकार ने यह बात रखी

FP Staff

केंद्र सरकार बच्चों और नवजातों के यौन उत्पीड़न के दोषियों को सजा-ए-मौत दिलाने के लिए कानून में कोई सुधार करने के मूड में नहीं है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की मोदी सरकार ने यह बात रखी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वाले दोषियों के लिए फांसी का बिल पारित किया है, तो दूसरी ओर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पीएस नरसिम्हा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 'मौत की सजा हर चीज का समाधान नहीं है.'


एएसजी नरसिम्हा सुप्रीम कोर्ट में अलख आलोक श्रीवास्तव की एक याचिका का जवाब दे रहे थे. अधिवक्ता अलख ने अर्जीदार के तौर पर बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वाले दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की है.

नरसिम्हा ने कहा, यौन उत्पीड़न संरक्षण कानून में बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान है. ऐसे रेपिस्ट को कम से कम 10 साल की सजा और अधिकतम आजीवन करावास का कानून है, जबकि नाबालिग के गैंगरेप के दोषी को 20 साल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है.