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रुपए को थामने की सरकार की कोशिशों का होगा मामूली असर: रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया, 'इस बात पर गौर करने पर कि जो कदम उठाए गए हैं उनसे अल्पकालिक बाह्य ऋण बढ़ेगा या इसके तहत कंपनियों का जोखिम बढ़ेगा जिसके समक्ष उनके पास बचाव का उपाय नहीं होगा.'

Bhasha

रुपए की गिरावट थामने के लिए सरकार द्वारा शुक्रवार को की गई घोषणाओं का ज्यादा असर नहीं होगा. इनसे संभव है कि विदेशी कोष आकर्षित नहीं हो बल्कि अल्पकालिक ऋण बढ़ने से इसका दीर्घकालिक परिदृश्य नकारात्मक हो सकता है. एचडीएफसी बैंक की एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है.

रिपोर्ट में कहा गया, 'इस बात पर गौर करने पर कि जो कदम उठाये गये हैं उनसे अल्पकालिक बाह्य ऋण बढ़ेगा या इसके तहत कंपनियों का जोखिम बढ़ेगा जिसके समक्ष उनके पास बचाव का उपाय नहीं होगा. ऐसी स्थिति में इन उपायों को नकारात्मक ही माना जाएगा.'


बैंक ने चेतावनी दी कि अल्पकालिक बाह्य वाणिज्यिक ऋण बढ़ने से अतिसंवेदनशीलता आगे और बिगड़ सकती है जिसे वैश्विक निवेशक नकारात्मक मान सकते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया, 'इन कदमों का बेहतर परिणाम तब सामने आता जब वैश्विक बाजार की धारणा उभरते बाजारों के बारे में सकारात्मक हो.'

बैंक ने कहा कि विदेशी निवेशकों में मसाला बांड की मांग सामान्य तौर पर रुपए की स्थिरता पर निर्भर करती है. ऐसे माहौल में जब रुपया दवाब में है, विदेशी निवेशक शायद ही रुपया केंद्रित माध्यमों में निवेश बढ़ाएं.

सरकार ने जो उपाय किए हैं उनमें विनिर्माण क्षेत्र की इकाइयों को पांच करोड़ डॉलर तक का कम से कम एक साल की अवधि के लिए विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) लेने की अनुमति दी गई है जबकि पहले इसके लिए तीन साल की अवधि रखी गई थी. मसाला बॉन्ड इश्यू के लिए विदहोल्डिंग कर से छूट दी गई है साथ ही भारतीय बैंकों पर मसाला बांड के लिए बाजार बढ़ाने पर प्रतिबंध हटा लिए गये हैं. विदेशी निवेशकों के लिए एकल समूह के तौर पर तय सीमा को भी हटा लिया गया है.