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5वीं से 8वीं के छात्रों को 'फेल नहीं करने की नीति' का जल्द आएगा बिल: जावडेकर

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसमें ऑनलाइन माध्यम से पठन-पाठन की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की भी व्यवस्था है

FP Staff

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बुधवार को बताया कि पांचवीं से आठवीं कक्षा के छात्रों को फेल न करने की नीति खत्म करने के बारे में जल्द ही संसद में एक विधेयक लाया जाएगा. अभी शिक्षा के अधिकार कानून के तहत आठवीं कक्षा तक के छात्रों को फेल नहीं करने का प्रावधान है.

लोकसभा ने बुधवार संक्षिप्त चर्चा के बाद नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए जावडेकर ने कहा कि यह विषय 5वीं से 8वीं कक्षा के बच्चों के पठन-पाठन और सीखने के निष्कर्षों पर आधारित है. अगर बच्चा मार्च में परीक्षा में फेल होता है तो उसे मई में एक और अवसर मिलेगा. और मई में फेल होने के बाद उसे उस कक्षा में रोक लिया जायेगा.


मंत्री ने कहा कि इस बारे में एक विधेयक जल्द ही आ रहा है. उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान एक बात सामने आई है कि शिक्षा के क्षेत्र में पैसा काफी खर्च हो रहा है, विस्तार भी हो रहा है लेकिन गुणवत्ता कैसे बेहतर हो, यह सवाल भी उठ रहा है.

जावडेकर ने कहा कि हम ‘स्वयं प्लेटफार्म’, स्वयंप्रभा के माध्यम से ऑनलाइन और सीधे सम्पर्क के जरिये पठन-पाठन और प्रशिक्षण को आगे बढ़ा रहे हैं. लोग सीख रहे हैं और सर्टिफिकेट भी प्राप्त कर रहे हैं. इसके जरिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उत्तम पाठ्य सामग्री प्रदान करने के साथ डीटीएच के 32 चैनलों के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है. इसके माध्यम से अपनी पसंद के अनुसार पढ़ाई करने की व्यवस्था की गई है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसमें ऑनलाइन माध्यम से पठन-पाठन की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की भी व्यवस्था है. इसके अलावा हर साल 12 दिनों के शिविर का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें शिक्षकों और अभिभावकों के संवाद का भी प्रबंध होगा.

नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2017 को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने 10 अप्रैल 2017 को पेश किया था. इसमें आरटीआई अधिनियम 2009 के तहत शिक्षकों को नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता प्राप्त करने की मियाद को बढ़ा कर 31 मार्च 2019 करने की बात कही गई है

(साभार न्यूज़ 18)